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मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए केन्द्र सरकार पर लगाये गंभीर आरोप

ए0आई0सी0सी0 दिल्ली। मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इसलिए कर रहे हैं कि राज्‍य सभा में सरकार हमको बोलने नहीं दे रही है।

      रूल 267 के तहत हम लगातार 11 दिन से मणिपुर का विषय उठाने का प्रयास कर रहे हैं और मणिपुर कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है, ये तो देश की एक बहुत बड़ी घटना है और खासकर कि हम ये चाहते थे कि प्रधानमंत्री जी सदन में आएं, अपने विचार रखें, क्‍योंकि सिर्फ गृह मंत्री का सवाल नहीं है और जो चीजें प्रधानमंत्री के अधीन होती हैं, जो सूचनाएं उनको मिलती हैं, वो सारी सूचनाएं गृह मंत्री को नहीं मिल सकती हैं, उसमें लिमिटेशन है, लेकिन यहां पर, सदन में प्रधानमंत्री आकर बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। वो इलेक्‍शन प्रचार में राजस्‍थान जा रहे हैं, मध्‍य प्रदेश जा रहे हैं, छत्तीसगढ़ जा रहे हैं और आज पुणे में हैं और ऐसा कौन सा बड़ा वहां पर इवेंट है कि पार्लियामेंट छोड़कर वहां पर जाते हैं और अपोजीशन पार्टी के खिलाफ भी बात करते हैं। कहीं भी जाते हैं, अपोजीशन पार्टी को टोकते हैं और प्रधानमंत्री, सदन में रहकर जवाब देने की बजाय, ये बाहर जवाब देते हैं, बाहर हम पर टीका-टिप्‍पणी करते हैं।

    अरे भाई, आप सदन में आओ, अपनी बात रखो, हम भी उसका उत्तर देंगे, हम जवाब देंगे  will answer all your questions, but he is going outside and telling, just he is taking advantage of all these things to make election propaganda. Election speeches he is making, he is doing, but he is not ready to do one small statement in the house on Manipur issue, where more than 200 people have died 5,000 people are injured, nearly 60,000 people have been forced to vacate their houses, many more houses were destroyed. सब कुछ वहां पर हुआ है। ये होते हुए भी वहां पर मोदी जी आकर बात करना नहीं चाहते और हमको बार-बार ये कहते हैं, सरकार की ओर से भी शायद…

      आज चेयरमैन साहब से भी हमने विनती की कि भाई 267 और 176 में बहुत फर्क है, अंतर है। 176 में दो-ढाई घंटे की चर्चा हो सकती है, लेकिन 267 में लंबी चर्चा हो सकती है, हर एक पार्टी के लोग बात कर सकते हैं और ढाई घंटे अगर पार्लियामेंट में आपने समय तय किया, तो एक-एक पार्टी, जो मेजर पार्टी हैं, उसको 15 मिनट मिलेंगे, बाकी के लोगों को 10 मिनट मिलेंगे और जो छोटी पार्टियां हैं, एक-एक या दो मिनट मिलेंगे।

       आप बताइए, इतनी बड़ी घटना, इतने लोग…. एक तरफ महिलाओं की नग्‍न परेड हो रही है, मार रहे हैं, दुकानें जल रही हैं, मोटर-कार, घर जल रहे हैं, ये सब कौन करा रहा है? और वो कहते हैं कि अपने गृह मंत्री 3 दिन वहां थे। अरे भाई, 3 दिन वहां अगर थे मणिपुर में, फिर ये समस्‍या को सुलझाया क्‍यों नहीं? अभी (समस्‍या) बढ़ क्‍यों रही है?

      ये हमारा उनसे पूछना है और उसका उत्तर क्‍या मिलता है हमको, वो भी देखना है। तो इसीलिए दोस्‍तों, हमेशा मीडिया में ये कंफ्यूजन कर रहे हैं कि वो तो चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन अपोजीशन पार्टी तैयार नहीं है। अरे अपोजीशन पार्टी तो तैयार हैं, इसलिए 11 दिन से हम सतत कोशिश कर रहे हैं। पहली बार 65 लोग, एमपीज़ ने 267 पर नोटिस दिया है। इससे बढ़कर क्‍या होता है, इतिहास में इतनी बढ़ी संख्‍या में जो नोटिस दिया है, मैं समझता हूं ये पहली बार है।

            क्‍योंकि उनके पास मेजोरिटी है, बुल्‍डोजर लगा रहे हैं और हमेशा यही बात करते हैं कि देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसको पीछे धकेलने वाले वही लोग हैं। तो इसीलिए आज हम जो चीजें वहां पर रखना चाहते थे, वो चंद चीजें रख नहीं पाए और वो हमेशा ये कहते हैं 267 कभी भी चर्चा में नहीं आया, सदन में चेयरमैन साहब को भी वही बताया गया उन्‍हें, लेकिन हमारे पास आंकड़े हैं।

       नियम 267 के तहत 7 बार, 7 Occasions उन्‍होंने इस सदन में क्‍वेश्‍चन ऑवर, बाकी के सभी बिजनेस स्‍टॉप करके, 7 बार समय दिया गया। उसी तरह क्‍वेश्‍चन ऑवर स्‍टॉप करके 10 Occasions पर उन्‍होंने ऐसे विषय पर, नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए समय दिया है और हमारी गवर्नमेंट जब थी, उस वक्‍त के भी बहुत उदाहरण हैं। ये तो आने के बाद, डेमोक्रसी में इनका कम विश्‍वास है और बात करने में इनका ज्‍यादा विश्‍वास है।

      देखिए, डॉ० मनमोहन सिंह जी जब थे, तब इन लोगों ने एक यही शायद नॉर्थ ईस्‍ट रीजन का एक समय आया था, उसमें उन्‍होंने, खासकर वेंकैया नायडू ने एक उसका क्‍वेश्‍चन पूछा था। उस वक्‍त अगस्‍त 17, 2012 में, क्‍या है क्‍वेश्‍चन ऑवर, Question hour was suspended by the Chairman to take up the discussion on the topic of a tax, on migrants from the North-Eastern region in different parts of the country. In the light of the request made by the member M. Venkaiah Naidu. ये वेंकैया नायडू ने एक सवाल उठाया था। तो सभी क्‍वेश्‍चन सस्‍पेंड करो, बिजनेस सस्‍पेंड करो, इसको महत्‍व देकर आप चर्चा शुरू करो।

     तब डॉ० मनमोहन सिंह जी ने उस चर्चा में पार्टिसिपेट किया और उन्‍होंने उत्तर दिया। ऐसे कई उदाहरण मेरे पास हैं, समय नहीं हैं और आपके पास भी इतना समय नहीं है। इतने हमने जो प्रि‍सिडेंट हैं या पीछे के जो नेताओं ने कहा है, वाजपेयी जी ने भी कहा है और वाजपेयी खुद ही ये कहते थे कि क्‍वेश्‍चन ऑवर सस्‍पेंड करके, इसको चांस देना चाहिए। अरे जब नेता लोग, बड़े-बड़े नेता लोग, उनके नेता लोग भी इसी सवाल पर कई बार मुद्दे उठाकर वो प्रश्‍नकाल, क्‍वेश्‍चन ऑवर और बाकी चीजें सस्‍पेंड करके लिए हैं।

      तो ये आज यहां पर हमको धमकाया जा रहा है और हमको कहा जा रहा है कि अगर आप बार-बार ऐसे उठे तो आपको बड़ी शिक्षा (सजा) मिलेगी। ये कौन कर रहे हैं – चेयरमैन के मुंह से सरकार करवा रही है, सरकार अगर ये बातें नहीं कहती, तो नहीं होता और दूसरी चीज – एक हमारे सीनियर राज्‍यसभा मेंबर, श्रीमती रजनी ताई पाटिल, उसको सस्‍पेंड किया गया एक सेशन के लिए, अब ये दूसरा सेशन चल रहा है, फिर भी उसका रिवॉक नहीं हुआ। क्‍या डेमोक्रसी है, ये तो डिक्‍टेटरशिप है। मैं तो ये कहूंगा, कोई कुछ भी बोले, ये तो हिटलरशाही है। तो इसलिए मुझे बड़ा दु:ख होता है, मुझे भी थोड़ा अनुभव है। हमेशा पार्लियामेंट में सुबह से शाम तक बैठने की मुझे आदत है, सुनने की आदत है, लेकिन इसको भी हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम बैठते ही इसलिए हैं कि विचार दूसरे के सुनने के लिए, लेकिन वहां पर कोई भी बात सुनने के लिए भी तैयार नहीं है और जब हम बात करने के लिए उठते हैं, तो अपोजीशन पार्टी की बात को वो अपोज करते हैं और रूलिंग पार्टी वाले उठकर चिल्‍लाते हैं।

     मेरा माईक बंद करते हैं। बोलने के लिए इजाजत दो, एक बार कहते हैं। 10 सेकंड में मेरा माईक बंद हो जाता है, कैसे होता है? हमसे क्‍या नुकसान है? मैं तो समझूंगा ये मेरे अपो‍जीशन पार्टी लीडर को वो एक अलग नजर से देखते हैं, ये तो अपमान है मेरा और अपोजीशन पार्टी के नेता को आप अपमानित करते हो, दूसरी तरफ आप सदन में बैठकर बोलते हो कि राज्‍यसभा के नेता और अपोजीशन पार्टी के नेता, ये सभी मुझे बराबर हैं और ये भी कहते हो प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री, ये सभी लोगों को हम प्राथमिकता देते हैं। तो कहां प्राथमिकता देते हैं? सही क्‍वेश्‍चन पूछो, तो भी वो लोग देते नहीं।

       अभी हाल ही में, रूल्‍स के मुताबिक ही संजय सिंह ने सवाल उठाया था, तो फिर वेल के अंदर आकर वो पूछ रहे थे, उनको भी सस्‍पेंड किया गया था। तो ऐसी चीजें आज सरकार कर रही है और इसका मुकाबला हम करते रहेंगे।

इंडिया पार्टियां डरने वाली नहीं है, डर के भाग जाने के लिए इंडिया पार्टी अलायंस नहीं बना है। मुकाबला इनका करेंगे, इनको हराएंगे 2024 में और जो कुछ भी हमारे ऊपर वो अन्‍याय कर रहे हैं, करने दो। हम तो लोकहित में काम करने वाले लोग हैं, लोकतंत्र के लिए और संविधान के बचाव के लिए जो कुछ भी हमको कुर्बानी देनी पड़ेगी, हम देंगे।

एक प्रश्न पर कि इंडिया के प्रतिनिधिमण्‍डल के मणिपुर दौरे के बाद क्या राष्ट्रपति जी से मिलने का समय मिला है?  मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ये 21 लोग डेलिगेशन के रुप में वहाँ गए थे, हमारी हर पार्टी के नेता, हमारी इंडिया पार्टियों के नेतागण, तो हम जाकर उनको अवगत कराएंगे, सारी चीजें बताएंगे, लेकिन समय मिलने के बाद ही वो हो सकता है।

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