महिला उत्पीडन के बढते मामलो को लेकर प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने पत्रकार वार्ता का किया आयोजन
देहरादून। उत्तराखण्ड कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने आज महिला उत्पीडन के बढते मामलो को लेकर पत्रकार वार्ता कर भाजपा सरकार को आढे हाथो लिया।
दसौनी ने कहा कि लगातार प्रदेश में महिला उत्पीडन के मामले सामने आने के बावजूद राज्य की प्रंचड बहुमत की धामी सरकार कुम्भकरण की नींद में सोई हुई है। दसौनी ने तीन महिनों में ही हल्द्वानी के तीन बडे प्रकरण पत्रकार वार्ता के दौरान साझा किए। दसौनी ने कहा कि अगस्त माह में हल्द्वानी जेल में 55 कैदिंयों के एचआईवी संक्रमित होने की बात से भी शासन प्रशासन हरकत में नही आया। अक्टूबर माह में काठगोदाम स्थित मूकबधिर और दृष्टिबाधित बच्चों की आवासीय संस्था में मासूम बच्चों के साथ वर्षो से हो रहे यौन शोषण के खुलासे ने पूरे उत्तराखण्ड को झकझोर कर रख दिया। बोलने सुनने और देखने में प्राकृतिक रूप से असमर्थ मासूर बच्चों ने अपनी ही संस्थापक पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाया। संस्था का संचालक श्याम सिंह धनक संस्था में पढ़ रहे 113 छात्र-छात्राएं जिन सभी की उम्र 18 साल से कम बताई जा रही है उनके साथ दुष्कर्म करता रहा, बडे बडे नेता और अधिकारी वीआईपी बनकर संस्था में सैर करते रहे, संचालक धानक की प्रदेश के बडे नेताओं और अधिकारियों में गहरी पैठ होने के कारण मासूमों की आवाज दब कर रह गयी। दसौनी ने कहा कि धानक जैसे लोग जो विकृत मानसिकता के और अमानवीय प्रवृति के हो वह समाज में काले धब्बे की तरह हैं।
दसौनी ने आज के ताजे प्रकरण की ओर सभी का ध्यान आकृषित करते हुए कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि हल्द्वानी के संरक्षण गृह में एक नाबालिग बच्ची के साथ बीते कई दिनों से दुष्कर्म हो रहा था, और इस घृणित कृत्य को अंजाम दे रही थी सरक्षण गृह में कार्यरत दो महिलाएं जिन्होने मातृशक्ति को शर्मशार कर दिया। दसौनी ने कहा कि उपरोक्त सभी घटनांए मात्र तीन चार महिने के अन्दर घटित हुयी हैं, और धामी सरकार के बेटी बचाओं बेटी पढाओं एवं महिला सशक्तिकरण के बडे बडे दावों पर करारे तमाचे की तरह हैं। दसौनी ने अंदेशा जताते हुए कहा कि अभी तो संरक्षण गृह की मात्र एक बच्ची ने आपबीती बताई है, हो सकता है कि न जाने कितनी नाबालिग बच्चियों की बोटिंया नौचीं जा रही हों। दसौनी ने कहा कि इस मामले की जांच जरूर होनी चाहिए कि ये दो महिलाएं उस मासूम बच्चि को किसी नेता अधिकारी को परोस रही थी या उन्होनें उसे आमदनी का जरींया बना रखा था। दसौनी ने सरकार एवं शासन प्रशासन में बैठे हुए सफेदपोशो को लानत भेजते हुए कहा कि यदि पहले ही प्रकरण में हल्द्वानी का सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया होता, मामले को गम्भीरता से लिया होता, मामले की तह तक जाने की कोशिश की होती, आरोपियों पर सख्त कार्यवाही की होती तो बाद के प्रकरण सामने न आते। दसौनी ने कहा कि आज प्रदेश की कानून व्यवस्था अपने सबसे निचले स्तर पर है महिला बाल एवं विकास मंत्री को राजनीति से फुर्सत नही और इससे बुरा वक्त उत्तराखण्ड के लिए हो नही सकता कि संरक्षण गृह में तक न हमारी बच्चियां सुरक्षित हैं न संरक्षित।