महिला दिवस: स्वास्थ रक्षा के लिए महिला चिकित्सको ने संभाला मोर्चा
देहरादून। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर फेडरेशन ऑफ़ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज़ ऑफ़ इंडिया (FOGSI) द्वारा पुलिस विभाग में कार्य करने वाली महिला पुलिसकर्मी जो अपनी लंबी ड्यूटी के कारण अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करती है के लिए देशव्यापी ग्रीवा और स्तन कैंसर जांच शिविर आयोजित किया गया। उत्तराखंड में यह शिविर कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में छः शहरो देहरादून, हरिद्वार, रामनगर, रुद्रपुर, काशीपुर और हल्द्वानी में 8 मार्च को सुबह 9 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक आयोजित किये गए।
देहरादून में पुलिस लाइन के सेमिनार हॉल में शिविर का शुभारम्भ डॉ अलकनंदा अशोक, डीन, कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी, पंत नगर यूनिवर्सिटी द्वारा श्वेता चौबे, एस पी सिटी, विशाखा बढानी अशोक, ऐ एस पी, डॉ मीनू वैश, डॉ सुमिता प्रभाकर, डॉ अजीत गैरोला, पल्लवी त्यागी की उपस्थिति में किया गया।
फोग्सी की उत्तराखंड संयोजक डॉ सुमिता प्रभाकर ने बताया की ” उत्तराखंड में हमने आज लगभग दो हज़ार महिलाओं को कवर किया है, जिनकी स्तन और गर्भाशय रोगों की स्क्रीनिंग की गई हैं, कुछ महिलाओं में असामान्य लक्षण पाए गए है जिनकी आगे की जांच की जाएगी और इलाज में भी पूरा सहयोग किया जाएगा ।उत्तराखंड में महिलाओं में स्तन और ग्रीवा कैंसर का खतरा बढ़ रहा हैं इसलिए ज़रूरी हैं की महिलाएं जागरूक हो और उन्हें स्क्रीनिंग की सुविधा मिलती रहे। हम जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम संभव है और 40-65 वर्ष की आयु महिलाओं के लिए 3-5 साल में कैंसर की स्क्रीनिंग या पेप स्मीयर टेस्ट महत्वपूर्ण है। सभी शिविरों में कार्यक्रम दौरान स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे स्वयं स्तन परिक्षण कैसे करना हैं इसकी जानकारी भी दी गयी।” यह घोषणा की गई कैन प्रोटेक्ट फॉउन्डेशन के तत्वाधान में हर महीने पुलिस लाइन देहरादून स्थित हॉस्पिटल में एक महिला स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा । इसमें स्त्री रोग विशेषग्यों द्वारा महिलाओं की सभी बीमारियों की जांच की जाएगी ।
सुविधायेंः-
शिविर में स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग की सुविधा के लिए देहरादून की कई प्रसिद्ध महिला रोग विशेषज्ञों ने अपनी सेवाएं प्रदान की, इस कैम्प में 40 वर्ष आयु से अधिक की महिलाओं की निःशुल्क मैमोग्राफी की गई, साथ ही सभी महिलाओं का क्लिनिकल स्तन परिक्षण, पेप स्मीयर जाँच, शुगर, हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर की जाँच की सुविधा एवं अन्य सभी प्रकार के महिला रोगो के परामर्श की सुविधा दी गयी ।
क्यों ज़रूरी हैं कैंसर स्क्रीनिंग ?
डॉ मीनू वैश ने कहा की स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के अधिकांश मामले प्रजनन आयु वर्ग में पाए जाते हैं और अगर इनका जल्दी पता चल जाए तो यह रोके जा सकने योग्य और इलाज योग्य होते हैं ।
2030 तक करना हैं सर्वाइकल कैंसर को खत्म
फोग्सी इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखता है, जो पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। यह सभी शिविर 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के लिए डब्ल्यूएचओ, और भारत सरकार के आह्वान को आगे बढ़ाने के लिए फोग्सी सदस्यों की एक नैतिक जिम्मेदारी को दर्शाते हैं। स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर भारतीय महिलाओं को प्रभावित करने वाले अग्रणी कैंसर हैं। भारत में हर साल स्तन कैंसर के कारण लगभग 80000 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर के अनुमानित नए मामलों में, भारत 96,922 नए मामलों की भारी संख्या के साथ चीन से 2 वें स्थान पर है, लेकिन 2017 में 68,000 मौतों के साथ मृत्यु दर में पहले स्थान पर है।
शिविर में डॉ सुमिता प्रभाकर, डॉ मीनू वैश्य, डॉ एस जी सेठी, डॉ अनु धीर, डॉ अरुणिमा गोयल, डॉ मानसी वैश्य, डॉ दीपा गोयल, डॉ राधिका रतूड़ी, डॉ हुमा परवीन, डॉ रेखा खन्ना, डॉ विनीता सिंह ने मरीज़ों की जांच की ।