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मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सिंधिया समर्थक कांग्रेसी नेताओं पर कार्यवाही करनी शुरू की

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने  के दो महीने बाद भी अभी भी उनके समर्थक कई नेता पार्टी में हैं, लेकिन उनकी आस्था को लेकर असमंजस की स्थिति है। भोपाल हो या ग्वालियर या कोई अन्य जिला, सिंधिया या उनके समर्थक नेताओं के विश्वस्त कांग्रेस में हैं, जिनमें से कुछ नेता खुलकर उनके साथ काम कर रहे हैं तो कुछ उपचुनाव में टिकट जैसे अच्छे अवसर का इंतजार कर रहे हैं।

वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिलों से आने वाली शिकायतों पर अब कार्रवाई करना शुरू कर दी है, जिसके तहत एक सप्ताह में चार सिंधिया समर्थक नेताओं का निष्कासन किया जा चुका है। सिंधिया ने दस मार्च को कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक उठापटक हुई, जिसमें कांग्रेस की कमल नाथ सरकार चली गई। उस समय सिंधिया के साथ उनके समर्थक 22 विधायकों ने पार्टी छोड़ी थी और उनके साथ प्रदेश के करीब 100 बड़े नेताओं व पदाधिकारियों ने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद भी कई ऐसे नेता थे, जो कांग्रेस में रहे, लेकिन उनकी आस्था सिंधिया व उनके समर्थक मंत्री-विधायकों के प्रति है।

सिलावट-चौधरी के साथ घूम रहे थे, हटाया  सिंधिया के प्रति आस्था रखने वाले कई ऐसे नेता शिवराज सरकार में मंत्री तुलसीराम सिलावट अथवा पूर्व मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के साथ जिलों में घूमते दिखाई दिए। करीब डेढ़ महीने बाद पार्टी ने ऐसे नेताओं के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की है। एक सप्ताह में पीसीसी ने सिलावट-डॉ. चौधरी के साथ क्षेत्र में दौरे करने वाले चार पदाधिकारियों को हटा दिया है।

कुछ नेताओं को टिकट वितरण का इंतजार  ग्वालियर क्षेत्र के कुछ नेता टिकट वितरण का इंतजार कर रहे हैं। ये नेता सिंधिया के साथ जुड़े रहे हैं और उनके भाजपा में जाने के बाद वे उनका स्वागत भी कर चुके हैं। एक दिवंगत नेता के पुत्र भी इसी आस में कांग्रेस का दामन थामे हैं। वहीं, भोपाल में सिंधिया के समर्थन में बड़े-बड़े झंडे लेकर स्वागत करने वाले अल्पसंख्यक नेताओं ने अपनी आस्था पार्टी के किसी दूसरे नेता में दिखाई नहीं है और सिंधिया के जाने के बाद से ये लोग शांत हैं। रायसेन जिले में दो नेताओं के निष्कासन के बाद भी एक नेता अभी भी सिंधिया का झंडा लेकर वहां चल रहे हैं और कांग्रेस पार्टी में हैं। हालांकि जिला कांग्रेस कमेटी ने उन्हें चेतावनी दे दी है।

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