इन लाइटों की रंग बदलती रोशनी से वन्य जीव स्वयं को रखते हैं दूर
पौड़ी : भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून की मुहिम रंग लाई तो पौड़ी जिले में मानव-वन्य जीव संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील एकेश्वर क्षेत्र में काफी हद तक हालात अनुकूल होते नजर आएंगे। इसके लिए संस्थान की ओर क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर 15 फॉक्स लाइट लगाई गई हैं। मंशा यह है कि रात के वक्त वन्य जीवों को क्षेत्र में मानवीय हलचल का अहसास होता रहे। इन लाइटों की रंग बदलती रोशनी से वन्य जीव स्वयं को दूर रखते हैं। डब्ल्यूआइआइ के मुताबिक अपवाद को छोड़ दें तो हर वर्ष दो से तीन लोग एकेश्वर क्षेत्र में गुलदार का निवाला बन जाते हैं। जबकि, 12 से 14 लोग हमले में जख्मी होते हैं। हालांकि, अब तक ठीक-ठीक यह पता नहीं लग पाया है कि गुलदार के बढ़ते हमलों के पीछे वजह क्षेत्र में आहार श्रृंखला के अन्य जानवरों की कम उपलब्धता है या फिर कुछ और। संभव है कि पलायन के चलते बंजर हो चुके खेत-खलिहान भी इसका एक कारण हों। इसी को देखते हुए डब्ल्यूआइआइ ने यहां संवेदनशील स्थानों और मकानों की छत पर फॉक्स लाइट लगाने की कवायद शुरु की है। संस्थान के प्रोजेक्ट एसोसिएट दीपांजन नाहा बताते हैं कि रात में इन लाइट का उजाला विभिन्न रंगों में दूर-दूर तक नजर आता है। इससे जानवर को लगता है कि क्षेत्र में मानवीय हलचल है। लिहाजा वह काफी हद तक आबादी वाले क्षेत्रों से दूरी बनाए रखता है।
कैमरे में कैद हुए वन्य जीव एकेश्वर क्षेत्र में बीते वर्ष डब्ल्यूआइआइ ने कैमरा ट्रैप लगाए थे। संस्थान के प्रोजेक्ट एसोसिएट दीपांजन नाहा बताते हैं कि इन कैमरों में गुलदार, भालू, सांभर, जंगली बिल्ली आदि की तस्वीरें कैद हुई हैं। क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिनसे मिली तस्वीरों पर शोध जारी है। जल्द ही इसके वास्तविक परिणाम सामने आएंगे। वीएलआरटी की भूमिका में ग्रामीण मानव-वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए संस्थान ने पूर्व में प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया था। संस्थान की ओर से कई गांवों में वीएलआरटी (विलेज लेवल रिस्पास टीम) भी गठित की गई हैं। यह टीम किसी भी घटना की जानकारी देने के साथ राहत एवं बचाव कार्यो और जागरुकता संबंधी कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभा रही हैं। प्रत्येक टीम में गांव के चार से पांच ग्रामीण शामिल किए गए हैं।