छह माह से बंद पड़ी है लस्तर नहर, सैकड़ों परिवार खेती से वंचित
रुद्रप्रयाग। भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कमलेश उनियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर रुद्रप्रयाग विधानसभा में फैली समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने सीएम से कहा कि विकासखंड जखोली के अंतर्गत बांगर सिलगढ़ से बाजीरा लस्या तक निर्मित लस्तर नहर छः माह से बंद पड़ी है, जिस कारण सैकड़ों परिवार खेती करने से वंचित रह गए हैं। वहीं उन्होंने जखोली ब्लॉक के चिरबटिया में चल रहे आईटीआई भवन निर्माण को लेकर कार्यवाही करने की मांग की।
बताया कि लस्तर नहर का निर्माण 1977 में कराया गया था। उस दौरान इस नहर की लंबाई 29 किलोमीटर थी और अभी लगभग छः वर्ष पूर्व इस नहर की लंबाई का विस्तारीकरण कर 31 किलोमीटर बनाया गया है। इस नहर को जखोली ब्लॉक के बांगर से लेकर बजीरा तक इसलिए बनाया गया था कि नहर से जुड़ने वाले दर्जनों गांवों के काश्तकारों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके और ग्रामीण धान की रोपाई व गेहूं की खेती की सिंचाई कर सकें, लेकिन आज यह लस्तर नहर जगह-जगह टूटकर अवरोध पड़ी हुई है। कुछ वर्ष पूर्व इस नहर पर मरम्मत के लिए सिंचाई विभाग में बजट आया था, लेकिन ठेकेदारों द्वारा घटिया सामग्री लगाए जाने के कारण यह पुनः उसी अवस्था में आ गई है। जिससे यह छः माह के अंदर ही बिना पानी चलाए ही पूर्व की अवस्था में आ गई है। जिससे सैकड़ों परिवार सिंचाई करने से वंचित रह गए हैं।
आज भी इस लस्तर नहर में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण से लोगों के खेत बंजर हो गए हैं। इतनी बड़ी नहर पर पानी चलना और नहर की मरम्मत किये जाने को लेकर कईं बार स्थानीय जनप्रतिनिधि व जनता ने विभागों के चक्कर लगाए हैं। उसके उपरांत भी इसका एस्टीमेट बनाकर डीपीआर बनाकर विभाग में तैयार हो रखी है और अधिशासी अभियंता सिंचाई रुद्रप्रयाग की ओर से प्रेजेंटेशन भी सचिव के समक्ष रखी जा चुकी है, मगर अभी तक इस पर किसी भी प्रकार का कोई कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। उन्होंने सीएम से कहा कि यह नहर महत्वपूर्ण है, जो सैकड़ों परिवारों की खेती करने में सहायक है। प्रदेश सह मीडिया प्रभारी के ज्ञापन का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल संबंधित विभाग को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द लस्तर नहर का ट्रीटमेंट करवाकर पानी चलाया जाए, जिससे ग्रामीण जनता खेती करने से वंचित ना रह सके।
वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता ने कमलेश उनियाल ने बताया कि जखोली ब्लॉक के चिरबटिया में चल रहे आईटीआई की स्थापना वर्ष 1989 में हो गई थी। वर्ष 2016 में प्रधान ग्राम सभा बुढियाग द्वारा 20 नाली राजस्व भूमि का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, जिसकी संस्तुति दी गई और अब प्रधानाचार्य आईटीआई चिरबटिया के नाम पर लगभग बीस नाली भूमि दाखिल खारिज सहित पंजीकृत है। शासन स्तर से दो करोड़ की धनराशि आईटीआई भवन निर्माण के लिए स्वीकृत की गई थी, लेकिन यह धनराशी शासन (सचिव कौशल विकास) में पड़ी है। उन्होंने सीएम से कहा कि जखोली ब्लॉक की 108 ग्राम सभाएं चिरबटिया आईटीआई पर निर्भर हैं। चिरबटिया में छात्र जर्जर भवनों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। क्षेत्र की जनता चाहती है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी इस मामले में संज्ञान लें और जल्द से जल्द आईटीआई भवन निर्माण की कार्यवाही शुरू की जाए, जिससे छात्रों का भविष्य उज्जवल हो सके।