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लंदन में पिछले कुछ महीनों से छिप कर रहे नीरव मोदी को स्काटलैंड यार्ड पुलिस ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली। सरकारी बैंक पीएनबी को 13 हजार करोड़ रुपये का चूना लगा कर विदेश भागे उद्योगपति नीरव मोदी के अब गिने चुने दिन ही रह गये हैं। लंदन में पिछले कुछ महीनों से छिप कर रहे नीरव मोदी को स्काटलैंड यार्ड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मोदी को कुछ ही घंटे बाद स्थानीय कोर्ट में भी पेश किया गया जहां से उन्हें 29 मार्च, 2019 तक हिरासत में रखने का आदेश दिया गया। दूसरी तरफ नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नीरव मोदी की पत्नी अमी मोदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया और मोदी के वित्तीय घोटाले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने उसकी महंगी पेंटिग्स और वाहनों की बिक्री का रास्ता भी साफ कर दिया।देश में आम चुनाव का बिगुल बज चुका है तो नीरव मोदी के लंदन पुलिस के शिकंजे में आने का भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर भी असर पड़ने के आसार जताये जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नीरव मोदी के मामले में लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। ब्रिटिश सरकार ने विगत छह महीने में भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या और अब नीरव मोदी के खिलाफ जिस तरह से कानूनी कार्रवाई की है वह भारत की तरफ से पड़ रहे दबाव का ही असर है। इन दोनों को प्रत्यर्पित करने का आग्रह भारत की तरफ से किया गया है। नीरव मोदी की गिरफ्तारी के बाद स्काटलैंड यार्ड पुलिस की तरफ से जारी रिलीज में कहा गया है कि, होलबॉर्न में भारत के आग्रह पर नीरव मोदी को गिरफ्तार किया गया है। बुधवार को नीरव मोदी को वेस्टमिनिस्टिर कोर्ट में पेश किया गया। जहां उसे जमानत नहीं मिली और 29 मार्च, 2019 तक पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने मोदी के अपराध को ना सिर्फ बेहद गंभीर माना बल्कि यह भी स्वीकार किया कि एक बार जमानत मिलने के बाद वह सहयोग करेंगे या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। यह अपने आप में बेहद अहम है क्योंकि विजय माल्या को जमानत मिल गई थी।नई दिल्ली स्थिति ईडी के सूत्रों ने बताया कि उनकी तरफ मोदी के खिलाफ मामले को लगातार नजर रखी जा रही है और इस बारे में लंदन स्थिति भारतीय उच्चायोग की मदद से कानूनी शिकंजा कसने का काम हो रहा है। ईडी के आग्रह पर ही वहां की कोर्ट ने मोदी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। ईडी की तरफ से अब मोदी के खिलाफ अगली सुनवाई में पूरे साक्ष्य के साथ अपना पक्ष रखा जाएगा। ईडी पहले ही ब्रिटिश आधिकारियों को यह बताता रहा है कि नीरव मोदी का मामला विजय माल्या से अलग है। मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का सूत्रधार है। उसकी मंशा शुरु से भारतीय प्रशासन व कानून को धत्ता बताने की थी। उसने सिर्फ भारतीय बैंकों को ही वित्तीय क्षति नहीं पहुंचाई बल्कि जान बूझ कर अपने ग्राहकों के साथ भी आर्थिक धोखा धड़ी की है। उसके इस अपराध में मेहुल चोकसी भी साझेदार है जो फिलहाल एंटीगुआ में रह रहा है। भारत उसे भी वापस लाने की मुहिम में जुटा है।

अमी मोदी के खिलाफ एनबीडब्लू  उधर, ईडी ने नीरव मोदी की पत्नी अमी मोदी के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी है। बुधवार को अमी मोदी के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। अमी मोदी फिलहाल कहां रह रही है इसको लेकर भारतीय अधिकारी संशय में है। माना जा रहा है कि वह अमेरिका या ब्रिटेन में हो सकती है। इससे नीरव मोदी पर दबाव बनाने में सहूलियत होगी। उधर, नीरव मोदी की कंपनी कैमलॉट इंटरप्राइजेज प्रा लिमिटेड की 173 महंगी पेंटिग्स के बेचने का रास्ता भी विशेष कोर्ट ने साफ कर दिया है।  ईडी की तरफ से दायर मामले की सुनवाई मनी लांड्रिंग से जुड़ी विशेष कोर्ट ने आय कर विभाग को 68 पेंटिंग्स को बेचने की इजाजत दे दी है। आय कर विभाग का नीरव मोदी पर 95.91 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा विशेष न्यायालय ने नीरव मोदी की जब्त रॉल्स रायस, पोर्शे, मर्सिडीज और टोयोटा फॉर्चूनर ब्रांड की 11 महंगी कारों को बेचने की भी इजाजत दे दी। लंदन में नीरव मोदी की गिरफ्तारी पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि क्या ये उपलब्धि है? उसको जाने किसने दिया था? नीरव मोदी की गिरफ्तारी पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा ने ही उसे देश से भागने में मदद की थी, अब वे उसको वापस ला रहे हैं। वे उसे चुनाव के लिए वापस ला रहे हैं और चुनाव के बाद फिर वापस भेज देंगे।

 कानूनी अड़चन बनी प्रत्‍यर्पण में बाधा   भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की यूनाइटेड किंगडम (यूके) में राजनीतिक शरण लेने की अपील को लेकर कानूनी अड़चन हाल के वर्षों में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में उभर कर सामने आया है। इस कारण भारतीय नागरिकों के प्रत्यर्पण को लेकर कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ब्रिटेन से 2002 से अब तक भारत के 28 भगोड़ों में से सिर्फ एक समीरभाई बीनूभाई पटेल को अब तक प्रत्‍यर्पण किया है। इस मुद्दे के जानकारों के अनुसार ब्रिटेन ने 28 भगोड़ों की की सूची में नौ भारतीय नागरिकों को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है।

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