उत्तरप्रदेश

लम्बे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस कमिश्नर व्यवस्था को मंजूरी प्रदान की गयी

नोएडा । लंबे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली से सटे जिला गौतमबुद्धनगर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था को मंजूरी प्रदान कर दी है। सोमवार सुबह यूपी कैबिनेट से प्रस्ताव पर मुहर लगते ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी ओपी सिंह के साथ प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी। माना जाता है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली से कानून-व्यवस्था मजबूत होती है। इससे बेलगाम अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद मिलती है। हालांकि लोगों के मन में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर कई तरह के सवाल भी हैं। जैसे पुलिस कमिश्नर प्रणाली क्या है और कैसे इसके आने से कानून-व्यवस्था मजबूत होगी? आइये जानते हैं पुलिस कमिश्नर सिस्टम से जुड़े हर सवाल का सही जवाब।

गौतमबुद्धनगर के लिए क्यों जरूरी है कमिश्नर प्रणाली  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिलहाल प्रदेश के दो जिलों के लिए ही पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया है। एक दिल्ली से सटा जिला गौतमबुद्धनगर और दूसरा लखनऊ। लखनऊ, प्रदेश की राजधानी है, इसलिए वहां कानून-व्यवस्था को मजबूत करना हमेशा सरकार की प्राथमिकता रहता है। दूसरे जिले के तौर पर गौतमबुद्धनगर का चुनाव इसलिए किया गया है, क्योंकि ये जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यूपी के दो जिलों (गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद) को छोड़कर, एनसीआर के सभी जिलों व शहरों में काफी पहले से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। गौतमबुद्धनगर में कमिश्नर प्रणाली लागू न होने की वजह से एनसीआर पुलिसिंग परिकल्पना बनकर ही रह गई थी। सीमा पार तालमेल का अभाव भी अक्सर देखने को मिलता है। उम्मीद की जा रही है कि गौतमबुद्धनगर में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। गौतमबुद्धनगर में इसके सफल होने पर योगी सरकार गाजियाबाद में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला ले सकती है।

कैसे मजबूत होगी कानून-व्यवस्था  कमिश्नर प्रणाली में पुलिस को तमाम प्रशासनिक अधिकार भी मिल जाते हैं। अब तक गौतमबुद्धनर में जो सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था थी, उसमें जिलाधिकारी (DM) के पास पुलिस को नियंत्रण करने का अधिकार होता है। मतलब सामान्य पुलिस व्यवस्था में जिले के अंदर भी किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी का तबादला करने के लिए एसएसपी को जिलाधिकारी की मंजूरी लेनी होती है। क्षेत्र में धारा 141 या कर्फ्यू लागू करने का अधिकार भी प्रशासनिक अधिकारियों के पास होता है। इसी तरह सामान्य पुलिसिंग के अंतर्गत दंगे जैसी स्थिति में पुलिस को लाठी चार्ज या फायरिंग के लिए भी प्रशासनिक अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। शांति भंग जैसी धाराओं में आरोपी को जेल भेजना है या जमानत देनी है, इसका फैसला प्रशासनिक अधिकारी करते हैं। दरअसल, दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) जिलाधिकारी (DM) को कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए कई शक्तियां प्रदान करता है। आम तौर पर CRPC के अधिकार जिलाधिकारी अन्य प्रशासनिक अधिकारियों (PCS) को प्रदान कर देते हैं। पुलिस की मासिक क्राइम बैठक भी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होती है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में CRPC के सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को मिल जाते हैं। ऐसे में पुलिस त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम होती है। नतीजतन कानून-व्यवस्था सुदृढ़ होती है।

कमिश्नर सिस्टम में रैंक पुलिस आयुक्त प्रणाली में पुलिस कमिश्नर (CP), अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) रैंक के अधिकारी को बनाया जाता है। इनके नीचे पुलिस महानिरीक्षक (IG) रैंक के अधिकारी होते हैं, जिन्हें आयुक्त प्रणाली में ज्वाइंट सीपी (Joint CP) कहा जाता है। इसके बाद पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) होते हैं, जिन्हें एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (Additional CP) कहा जाता है। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक (SSP/SP) रैंक के अधिकारी होते हैं, जिन्हें डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) कहा जाता है। डीसीपी एक शहर या इलाके के प्रभारी होते हैं। डीसीपी के नीचे DSP/ASP होते हैं, जिन्हें आयुक्त प्रणाली में असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) कहा जाता है। इसके अलावा सभी थाने व पुलिस चौकियां भी सीधे तौर पर डीसीपी के अंतर्गत आती हैं।

आलोक सिंह गौतमबुद्धनगर, सुजीत पांडेय लखनऊ के पहले कमिश्नर बने यूपी सरकार ने गौतमबुद्धनगर के पहले पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी मेरठ जोन के एडीजी रहे आलोक सिंह को सौंपी है। इससे पहले भी वह मेरठ जोन के महानिरीक्षक (IG) और जोन के कई जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रहे चुके हैं। वहीं लखनऊ का पहला पुलिस कमिश्नर एडीजी सुजीत पांडेय को बनाया गया है। वह फिलहाल प्रयागराज जोन के एडीजी थे। इससे पहले भी वह लखनऊ में पुलिस महानिरीक्षक (IG) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

कई जोन में बंटेगा जिला पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत जिले को कई जोन में बांटा जाएगा। प्रत्येक जोन का प्रभारी डीसीपी (SSP) रैंक का अधिकारी होगा। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस सहित कुछ अन्य शाखाओं के प्रभारी के तौर पर भी डीसीपी स्तर के पुलिस अधिकारी को तैनात किया जाएगा। ये सभी अधिकारी जिले में बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात किए जाने वाले एडीजी रैंक के अधिकारी आलोक सिंह के अंतर्गत काम करेंगे। अभी पूरे गौतमबुद्धनगर के लिए एक एसएसपी रैंक का अधिकारी होता है। जबकि एडीजी रैंक का अधिकारी मेरठ जोन में तैनात किया जाता है। जाहिर है कि जब जिले का प्रभार एडीजी रैंक के पुलिस कमिश्नर को सौंपा जाएगा और उनके अंतर्गत कई डीसीपी अलग-अलग जोन में तैनात होंगे तो इससे जिले की कानून-व्यवस्था मजबूत होगी।

दो नए थाने बनेंगे, पांच और प्रस्ताव में गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही जिले में दो नए थाने खुलने का रास्ता भी साफ हो गया है। इनमें से एक थाना नोएडा में और दूसरा ग्रेटर नोएडा में होगा। नोएडा में बनने वाले नए थाने का नाम फेज-1 और ग्रेटर नोएडा में बनने वाले नए थाने का नाम सेक्टर-142 होगा। इसके लिए पहले ही शासन स्तर से स्वीकृति मिल चुकी है। अब इनके निर्माण में तेजी आएगी। साथ ही इन नए थानों के लिए जल्द ही पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध होने की उम्मीद है। इसके अलावा जिले में पांच नए थाने बनाए जाने का प्रस्ताव भी शासन के पास विचाराधी है। ये पांच नए थाने हैं- सेक्टर-48, सेक्टर-63, सेक्टर-106, सेक्टर-115 व ओखला बैराज। उम्मीद जताई जा रही है कि पुलिस कमिश्नर के कार्यभार संभालने के बाद शासन जल्द ही इन पांच नए थानों को भी मंजूरी प्रदान कर सकता है। जिले में फिलहाल महिला थाना सहित कुल 22 थाने हैं। इसमें से थाना सेक्टर-20, 24, 39, 49, 58, फेज-दो, फेज-तीन, एक्सप्रेस-वे व महिला थाना नोएडा में मौजूद हैं। इनके अलावा थाना सूरजपुर, कासना, नॉलेज पार्क, ईकोटेक प्रथम, दनकौर, ग्रेटर नोएडा, बिसरख, ईकोटेक तृतीय, बादलपुर, रबूपुरा, जारचा, जेवर व दादरी थाना ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में है। ये सभी थाने अब गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नर के अंतर्गत आएंगे।

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