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लाखामंडल में महाभारत काल की मां यमुना की पहली बार हुई आरती
लाखामंडल में महाभारत काल की मां यमुना की पहली बार हुई आरती, आरती में 30 गांव के ग्रामीण हुए शामिल
देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व्यक्ति निर्माण के साथ—साथ धर्म अध्यात्म और परंपरा के सरोकारों को जोड़कर जन संस्कृति के प्रचार-प्रसार लिए आगे आ रहा हैं। जौनसार-बावर के लाखामंडल में 30 गांव के ग्रामीणों के साथ रविवार को यमुना के तट में महाभारत काल की परंपरा फिर से प्रांरभ करते हुए सूर्यपुत्री मां यमुना की आरती शुरुआत की गई है। संघ के इस प्रयास से ग्रामीणों में खुशी का वातावरण बना है। यमुना नदी के उत्तरी छोर पर स्थित देहरादून जिले के जौनसार-बावर का लाखामंडल गांव एतिहासिक ही नहीं पौराणिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है।
इस महत्व को लोगों तक संदेश पहुंचाने के लिए रविवार को आरएसएस के प्रांत प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह की मौजूदगी में लाखामण्डल, यमुना नदी तट सेरा स्टेडियम पर सूर्यपुत्री मां यमुना की आरती फिर से विधि विधान के साथ शुभारंभ की गई। आरती को लेकर आसपास के लोगों ने खुशी जताई है। ग्रामीणों का कहना है यह आरती आने वाले दिनों में पर्यटन को आने के लिए आकर्षित करेगा। जिससे स्थानीय का रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी।
इस मौके पर प्रांत प्रचाकर युद्धवीर सिंह ने कहा कि उत्तराखंड का आदिकालीन सभ्यताओं से गहरा नाता रहा है। लाखामंडल का एतिहासिक ही नहीं पौराणिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। लाखामंडल की प्राचीनता को कौरव-पांडवों से जोड़कर देखा जाता है। इस क्षेत्र में पांडवों का वास रहा है। पाडव काल की परंपरा को आज मां यमुना की आरती के साथ संस्कृति और सम्यता को बढ़ावा देने के लिए प्रांरभ की गई है। यह आगे भी आरती चलता रहेगा। समाज के एकजुटता के साथ इसे दिव्य और भव्य बनाने की कोशिश की जाएगी।
इस मौके पर देहरादून विभाग प्रचारक भगवती, सह विभाग कार्यवाह रविन्द्र, गीता राम गौड़,पण्डित सन्तोष खंडूरी व यमुनोत्री रावल प्रदीप उनियाल, ग्राम प्रधान वीरेंद्र सिंह, कुमारी सोनिया व ग्राम लाखामण्डल,कांडोई बौन्दर, कोटा तापलाड़, सिलामु,प्रशांत,गंभीर सहित 30 गांवों के ग्रामीण शामिल हुए।