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खगोलीय घटना के चलते कुछ पलों के लिए परछाई भी छोड़ देगी आपका साथ

कटघोरा । बुजुर्गों से सुना है कि परछाई आपका पीछा कभी नहीं छोड़ती। दिलचस्प यह है कि इस सिद्धांत का भी अपवाद है। अमूमन प्रतिवर्ष दो बार ऐसा दिन आता है, जब हमारी परछाई भी कुछ वक्त के लिए हमारा साथ छोड़ जाती है। खगोलशास्त्र में इस दिन को शून्य छाया दिवस या जीरो शैडो डे कहा जाता है। अगले माह तीन जून और उसके बाद नौ जुलाई को इस खगोलीय घटना से लोग रूबरू होंगे। छत्तीसगढ़ में इस दिन के वैज्ञानिक महत्व से छात्र-छात्राओं व आम लोगों को अवगत कराने की तैयारी की जा रही है। शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय की जियोग्राफी प्राध्यापक डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि कर्क रेखा से भूमध्य रेखा के बीच व भूमध्य रेखा से मकर रेखा के बीच आने वाले स्थान पर शून्य परछाई दिवस आता है। दरअसल यह शून्य परछाई दिवस का वह क्षण, दिनभर के लिए नहीं, बल्कि कुछ पलों के लिए दोपहर 12 बजे के आसपास होता है। सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायण होने के दौरान 23.5 अंश दक्षिण पर स्थित मकर रेखा से 23.5 अंश उत्तर की कर्क रेखा की ओर सूर्य जैसे-जैसे दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे दक्षिण से उत्तर की ओर गर्मी की तपन दक्षिण गोलार्ध में कम होती जाती है और उत्तरी गोलार्ध में बढ़ती जाती है। सूर्य की किरणें पृथ्वी पर जहां सीधी पड़ती जाती है, वहां उन खास स्थानों पर दोपहर में शून्य परछाई दिवस के दिन कुल पल के लिए स्थिति निर्मित होती है। ठीक उसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की ओर सूर्य वापस आते समय ठीक मध्या- में उसी अक्षांश पर फिर से शून्य परछाई बनाता है। यानि कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच दक्षिणायन होते सूर्य से यह दुर्लभ खगोलीय घटना दोबारा देख सकते हैं।

पहली घटना दोपहर 12 बजे से तीन मिनट से पहले  इस वर्ष शून्य छाया दिवस यानि जीरो शैडो डे की खगोलीय घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा में पहली बार तीन जून को दोपहर 11 बजकर 57 मिनट पर व दूसरी बार नौ जुलाई को 12 बजकर चार मिनट पर होने वाली है।

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