Uttarakhand

किसान आन्दोलन की आड़ में देश विरोधी ताकतें

आज गणतन्त्र दिवस को देशविरोधी ताकतों ने विश्वास घात कर देश के इतिहास के सबसे काले दिवस में बदल दिया। आंखे नम और दिल रो रहा है।लेखनी कांप रही है।इस जीवन मे अपने ही देश के लोगो को तिरंगे का अपमान करते और लाल किले पर विद्रोही झंडे फहराते देखना पड़ेगा ,ऐसा शायद  किसी राष्ट्र प्रेमी ने ख्वाब में भी न सोच होगा। हमारे पूर्वज जिन्होंने बलिदान देकर इस गणतंत्र को प्राप्त किया था, अपनी ही संतानों का कृत्य देखकर ऊपर से कितने शर्मिंदा हो रहे होंगे। देश द्रोहियो   की माताएं अपनी कोख पीट रही होंगी ऐसी संताने पैदा करने पर।
      लेकिन रोना और अफसोस कर चुप बैठे रहना राष्ट्र प्रेमियों को शोभा नही देता। परिश्थिति से सामना करना और दुश्मन को सजा देना वीरों का काम है। देश के चंद गुंडों को भारत माता के सपूतों के रहते देश को तोड़ने और आग के हवाले करने की छूट नही दी सकती। किसानों के नाम से देश को शर्मशार करने वाले इन अपराधियो को देश कभी माफ नही करेगा। देश की आन और बान की इस चिता की अग्नि में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले तथा कथित नेताओ को भी देश की जनता ने पहचान लिया है और उनका नाम देश के इतिहास की काली सूची में लिख दिया है। बहुत हो चुका, जरासंध की सौ गालियां भी पूरी हो गई अब सुदर्शन को अपना काम करना ही होगा। दुष्टों का नाश अब अवशम्भावी हो गया है। जनता समझ चुकी है और इन देशद्रोहियों को सजा मिलते देखना चाहती है। वैसे तो सरकार सक्षम है। तिरंगे और लाल किले के अपमान करने वालो को सजा देने के लिए। देश की सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा के लिये चंद गद्दारों को यदि सजाय मौत भी मिले तो भी देश को कोई अफसोस नही होगा। अब अवश्यक है कि अपराधी को उचित दंड मिले। देश द्रोह के इन अपराधियो के लिए चारो और की सीमाएं सील कर इन्हें ग्रिफ्तार किया जाय। इनके ट्रेक्टर और अन्य संम्पत्तियो को जब्त कर लिया जाना चाहिए। तथाकथित आंदोलन के पीछे कार्य करनेवालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।इन धोखे बाजो को जनता भी इनको समर्थन न दे और अपने क्षेत्र में कोई आश्रय न दे।
      राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव , दर्शन लाल और अन्य ऐसे ही अन्य नेताओं को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी जानी चाहिए।
हम सभी देशवासियों का भी कर्तव्य है कि ऐसे अराजक तत्वों से सावधान रहें और इन्हें उचित सजा देने के लिये अपनी आवाज़ बुलंद करें।
लेखकः- एम0एल0 शर्मा
देहरादून।

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