Uttarakhand
किसान बिल, बिचैलिये ठेकेदार और किसान
हाल ही में केंद्र सरकार ने किसान बिल को अपने दोनों सदनों से पास कर लिया। निश्चय ही यह किसानों के हित में कुछ ठेकेदार बिचौलियों को बाहर करने के लिए लिया गया निर्णय है। अदृश्य रहकर भी कुछ बड़े लोग बाजार में बड़े बिचोलिये बनकर लाभ ले रहे थे। हमारे सज्जन और मासूम किसानों को इस खेल की भनक भी नही थी। लेकिन प्रधान मंत्री एक दूर दृष्टा है वो जानते थे कि किसानों को इस मक्कड़ जाल से कैसे निकाला जा सकता है इसलिये इस कानून को ले आये।अब किसान अपनी इच्छा से अपनी फसल अधिक दाम पर या सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य जो भी अधिक हो, कही किसी भी स्थान और बाज़ार में बेच सकते है यानी किसी भी अवस्था मे फायदा किसान का ।और विडंबना देखिये कि देश के भोले किसान उन्ही लोगो के फैलाये जाल में फंसकर अपने ही हितों का विरोध करने में लग गए।
वास्तव में हमारे प्रधानमंत्री समस्या की जानकारी होने पर उसके समाधान में देरी नही करते और इसी तत्परता में एक तथ्य को भूल जाते हैं कि उनकी जनता बहुत भोली है उसे आपकी सोच तक पहुंचने में समय लगता है और इस बीच जनता को भृमित करने वाले तथाकथित विश्लेषण कर्ता अपने काम में लग जाते है। शायद यही त्रुटि पहले भी करेंसी के demonatisation के समय भी रही होगी। सरकार को चाहिये कि निर्णय लेने के साथ उसके जनता पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक विस्तृत जानकारी के प्रचार का भी प्रबंध कर देना चाहिए और कुप्रचार से बचने के लिये तमाम जनप्रतिनिधियो और संचार माध्यमो को विस्तृत और सही जानकारी देने के लिये संवाद में लगा देना चाहिये। कु प्रचार बहुत बड़ी बीमारी है। इससे देश की बहुत हानि ही नही होती बल्कि देश के स्थायित्व पर भी असर पड़ता है।जनता में भृम की स्थिति पैदा कर दी जाती है।किसी को सच्चाई ज्ञात नही होती और भेद चल में भागने लगते है। सरकार को इस प्रकार की गंदी राजनीति और बिकाऊ और प्रचार नामी बीमारी का देश हित मे शीघ्र इलाज करना चाहिए।
लेखकः- ललित मोहन शर्मा