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केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण को लेकर आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कानून लाएः- आरएसएस

ठाणे। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि अयोध्‍या में रामजन्‍म भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट जल्‍द फैसला दे। वहीं केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण को लेकर आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कानून लाए। इसके पहले दशहरा के अवसर पर अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत संसद से कानून बनाकर मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने की मांग की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय श्रीराम मंदिर निर्माण पर शीघ्र फैसला नहीं देता है, तो सरकार को कानून बनाकर इसका रास्ता साफ करना चाहिए। अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई दो माह के लिए टल जाने के बाद संघ का यह बयान अहम माना जा रहा है।अरुण कुमार सोमवार को मुंबई के निकट ठाणे जनपद स्थित केशवसृष्टि में शुरू होने जा रही संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक से पहले संवाददाताओं से बात कर रहे थे। यह बैठक 31 अक्टूबर से होगी। इस दौरान पत्रकारों द्वारा राम मंदिर के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर अरुण कुमार ने कहा कि संघ का स्पष्ट मानना है कि यदि न्यायालय शीघ्र निर्णय नहीं करता तो सरकार को कानून बनाकर श्रीरामजन्मभूमि न्यास को जमीन सौंप देनी चाहिए। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ फैसला सुनाते हुए यह मान चुकी है कि विवादित स्थल रामजन्मभूमि ही है। अनेक पुरातात्विक प्रमाणों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि उस स्थान पर मंदिर था। उस मंदिर को तोड़कर ही एक ढांचा बनाने का प्रयास वहां किया गया था। जब विवादित स्थल पर जन्मभूमि का होना सिद्ध हो गया और खोदाई से साक्ष्य भी प्राप्त हो गए, तो और रह क्या गया? संघ का विचार है कि मंदिर बनने से ही देश में सद्भावना स्थापित हो सकती है। उधर, अगले साल जनवरी से अयोध्या मामले की सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हम पहले ही हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने का पिछले सात साल से इंतजार कर रहे हैं और इसे अनंत काल तक नहीं खींचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस लंबे समय से चल रहे इस विवाद को खत्म करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में ही कानून बनाना चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में विहिप देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। विहिप पहले ही साफ कर चुका है कि 31 जनवरी और एक फरवरी को प्रयागराज में कुंभ के दौरान धर्म संसद में यह मुद्दा रखा जाएगा। धर्म संसद में संत समाज मंदिर निर्माण के लिए भावी रणनीति की दिशा तय करेगा। विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि विहिप हर दलों के सांसदों के क्षेत्र में जाएगा। वहां लोगों की राय लेगा और फिर जनता के साथ संबंधित सांसदों से भी राम मंदिर निर्माण के लिए कानून की मांग पर हस्ताक्षर लेगा। उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद के अधिकार में है और विस्तृत जनहित मामलों पर कार्रवाई करना सरकार का दायित्व है। उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि एक बार विधेयक संसद में आया तो किसी भी दल के लिए उसका विरोध करना आसान नहीं होगा। इसी के जरिए समाज में सदभावना भी बढ़ेगी।

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