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कश्मीर के सामान्य होते हालात से परेशान आतंकी और अलगाववादी अब पोस्टर वार पर उतरे, लोगों को डराने की कर रहे कोशिश

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से हालात लगातार सामान्य हो रहे हैं। ऐसे में कश्मीरी अब आतंकियों की धमकियों से डर नहीं रहे बल्कि मुखर होकर अपनी बात कह रहे हैं। ऐसे में एक तरफ जहां आतंकी लोगों में डर फैलाने के लिए धमकी भरे पोस्टर जारी कर रहे हैं। वहीं, उनके जवाब में अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थक भी पोस्टर जारी कर केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए अनुच्छेद 370 हटने के फायदे बता रहे हैं। भले ही यह पोस्टर लगाने वाले सामने न आ रहे हों, लेकिन आम कश्मीरी इन पोस्टरों को पढ़ भी रहे हैं और इन पर बहस भी कर रहे हैं। कश्मीर के सामान्य होते हालात से परेशान आतंकी और अलगाववादी पूरी तरह सकते में हैं। जनसमर्थन हाथ से निकलता देख वह लोगों को डराकर अपने एजेंडे के साथ जोड़ने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। आतंकी संगठन लोगों को भड़काने के लिए पोस्टर जारी कर कभी हड़ताल तो कभी मार्च का एलान कर रहे हैं। दुकानों को जबरन बंद करा रहे हैं। वहीं, डर का माहौल पैदा करने के लिए एक दुकानदार को मौत के घाट भी उतार चुके हैं। इसके अलावा वादी से बाहर के लोगों को कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं। इसके लिए मस्जिदों से एलान हो रहे हैं।

पोस्टर के जवाब में पोस्टर   राष्ट्र विरोधी और जिहादी तत्वों के इन पोस्टरों से आम लोगों में खौफ है। वह न चाहते हुए भी इनका फरमान मानने को मजबूर हो रहे हैं। हालांकि बदलाव के समर्थक लोग सामने भले ही नहीं आ रहे, लेकिन वे भी अब अपनी बात कहने के लिए पोस्टरों का सहारा लेने लगे हैं। यह लोग घर में बैठकर पोस्टर तैयार कर रहे हैं और मौका मिलते ही किसी गली मोहल्ले की दीवार पर चिपका देते हैं।

क्या लिखा है इन पोस्टर्स में   इन पोस्टरों में जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव से होने वाले फायदों का जिक्र किया जा रहा है। लोगों को बताया जा रहा है कि कौन सी केंद्रीय योजना का उन्हें सीधा लाभ मिलेगा, किस कानून का इस्तेमाल कर वह राजनैतिक-प्रशासनिक भ्रष्टाचार से निपट सकते हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की नौकरियों को अन्य राज्यों के लोगों द्वारा हथियाए जाने की बात बेदम है। वहीं, राज्य में ब्लैकमेल की सियासत समाप्त होगी और सही मायनों में उस लोकतंत्र का विकास होगा जिसकी उम्मीद में जम्मू-कश्मीर के लोग ने 1947 में भारत को अपनाया था।

आतंक के गढ़ दक्षिण कश्मीर में भी लगे पोस्टर   यह पोस्टर वादी के लगभग हर जिले और कस्बे में कहीं न कहीं मिल रहे हैं। आतंकियों का मजबूत किला बन चुके दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में तो यह कई जगह चौराहे और बिजली के खंभों में नजर आए हैं। यह पोस्टर भी उर्दू भाषा में ही हैं और हाथ से लिखे हुए हैं।

पोस्टर का जवाब पोस्टर, गोली का जवाब गोली   पुलवामा के मुरन इलाके में निसार नामक युवक ने कहा कि हम नहीं जानते कि यह पोस्टर कौन जारी कर रहा है। उसने कहा कि इन पोस्टरों को पढ़कर कोई डरता नहीं है, बल्कि चर्चा करता है। इन्हें कोई फाड़ता भी नहीं है। वहीं, पास खड़े एक बुजुर्ग ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि यह सरकारी एजेंसी वाले लगा रहे हैं, लेकिन जो जारी कर रहा है, सही कर रहा है। पोस्टर का जवाब पोस्टर, गोली का जवाब गोली।

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