Uttarakhand

कर्ज से तंग आकर पत्नी, बच्चों को जबरन जहर खिला, खुद भी खाया जहर

काशीपुर, उधमसिंह नगर : कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि श्रमिक इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया। आजिज आकर उसने पत्नी व बच्चों को जबरन जहर खिलाने के बाद खुद भी खा लिया। मौके पर ही श्रमिक व उसकी एक बेटी ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। पता चलने पर मकान मालिक ने एंबुलेंस सेवा के जरिये पीड़ि‍तों को अस्पताल में भर्ती कराया। मां व एक बेटी की हालत गंभीर बनी हुई है। मकान नंबर 117, काकादेव नॉर्थ ब्लॉक, तुलसीनगर कानपुर (उप्र) का मूल निवासी अंशुमान सिंह कुंडा थाना क्षेत्र के ग्राम हरियावाला में किराये के मकान में रहता था। करीब दो साल पूर्व वह कानपुर छोड़ पत्नी सरिता, तीन बेटियों दिव्यांशी, हिमांशी व आर्या तथा बेटे रुद्रप्रताप के साथ यहां आ गया था। तभी से अंशुमान महुआखेड़ागंज स्थित नमकीन बनाने वाली कंपनी में काम कर रहा था। आर्थिक तंगी के चलते परिवार का खर्च चलाने के लिए उसने कई लोगों से कर्ज लिया था। शनिवार सुबह टहलकर वापस आने के बाद पत्नी से किसी काम के लिए जाने की बात कहकर वह चला गया। करीब साढ़े नौ बजे लौटे अंशुमान ने पहले पत्नी को जबरन जहर खिलाया। इसके बाद तीनों बेटियों व बेटे को जहर खाने को दे दिया। देखते ही देखते परिजनों की हालत बिगड़ने लगी। बच्चों के रोने व चीखने की आवाज सुन मकान मालिक का बेटा अतुल पहुंचा तो अंशुमान व उसके परिजन तड़प रहे थे। अतुल ने आननफानन में एंबुलेंस सेवा-108 से पीड़ि‍तों को एलडी भट्ट अस्पताल पहुंचाया। वहां अंशुमान (35) व सबसे बड़ी बेटी दिव्यांशी (15) को मृत घोषित कर दिया गया। छोटी बेटी हिमांशी (10) व पत्नी सरिता की गंभीर हालत को देखते उन्हें काशीपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जबकि सायं तक हालत में सुधार होने पर सबसे छोटी बेटी आर्या (6) को घर भेज दिया गया। घटनास्थल व अस्पताल पहुंच जानकारी लेने के कुंडा थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि अभी तक मामला कर्ज के चलते जहर खाने का ही लग रहा है। बेटे रुद्र ने कर्ज की ही बात कही है, उससे और जानकारी ली जा रही है।

ऐसे बचा रुद्रप्रताप  मृतक अंशुमान के बेटे रुद्र (11) ने बताया कि उसके पिता ने जहर पहले मां को खिलाया। इसके बाद बहनों को व उसे देने के बाद खुद खा लिया। रुद्र ने पाउडर नुमा जहर को मुंह में रख तो लिया, लेकिन मौका पाते ही थूक दिया। इसलिए वह बच गया। रुद्र ने बताया कि पिता ने कई लोगों से कर्ज लिया था। कर्ज मांगने वाले भी आए दिन घर पर आते रहते थे।

बच्चों को नहीं भेजा गया स्कूल कानपुर में रहते समय रुद्र कक्षा पांच पास था। दिव्यांशी कक्षा सात व हिमांशी कक्षा तीन पास थी। यहां आने के बाद बच्चे स्कूल नहीं गए। रुद्र ने बताया कि पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि उन्हें पढ़ा सके।

कानपुर छोड़ने की वजह भी कर्ज पुलिस के मुताबिक अंशुमान ने कानपुर में भी कुछ लोगों से उधार लिया था। परेशान होकर कानपुर छोड़ परिवार के साथ वह काशीपुर आकर जीवनयापन करने लगा। यहां भी कर्ज में डूबा तो जीवन लीला ही समाप्त कर ली।

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