कमल नाथ सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों में की गई राजनीतिक नियुक्तियों को शिवराज ने किया निरस्त, कांग्रेस नेता लेंगे कोर्ट की शरण
भोपाल। मार्च के दूसरे सप्ताह में तत्कालीन कमल नाथ सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों में की गई राजनीतिक नियुक्तियों को निरस्त करने के खिलाफ कांग्रेस नेता हाई कोर्ट जा रहे हैं। मध्य प्रदेश महिला आयोग के पदाधिकारी जहां हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगाने वाले हैं वहीं मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जबलपुर हाई कोर्ट में गुहार करेंगे। अदालतों में कामकाज बंद होने से कांग्रेस नेता लॉक डाउन समाप्त होने के बाद तुरंत याचिकाएं लगाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस की कमल नाथ सरकार ने बागियों के इस्तीफों से गिरने के पहले मार्च में मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग, मप्र युवा आयोग, मप्र अनुसूचित जाति आयोग, मप्र अनुसूचित जनजाति आयोग और मप्र अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्तियां की थीं। इन लोगों ने सरकार के आदेशों के कुछ घंटे के भीतर ही कार्यकाल भी संभाल लिया था। महिला आयोग हो या युवा आयोग या पिछड़ा वर्ग आयोग, अधिकांश आयोग के पदाधिकारियों ने तुरत-फुरत शाम ढलने के बाद अपनी ज्वाइनिंग देकर काम संभाल लिया था।
हाई कोर्ट में जाएंगे आयोग के अफसर मप्र महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि आयोगों के अपने अलग-अलग से नियम होते हैं, जिनके अंतर्गत उनमें अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियों को निरस्त किया जाता है। सरकार ने उनकी तथा अन्य सदस्यों की नियुक्तियां तीन साल के लिए की थीं, लेकिन अचानक सरकार ने निरस्त कर दिया है। ओझा ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की नियुक्तियों को जिस तरह निरस्त किया गया, उसके खिलाफ वे हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगाएंगी।
बिना आधार नियुक्तियां निरस्त नहीं की जा सकती मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया का कहना है कि आयोग की नियुक्तियां निश्चित समयावधि वाली होती हैं। अध्यक्ष या सदस्य स्वयं इस्तीफा देकर पद खाली कर सकते हैं या फिर उन्हें हटाया जाता है तो उसके लिए आधार जरूरी है और हटाते समय सुनवाई के लिए नोटिस भी दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयोगों के अध्यक्षों व सदस्यों को बिना कारण बताए और नोटिस दिए बिना हटाया है जो असंवैधानिक है। अभी तक उन्हें हटाए जाने का नोटिस या आदेश भी नहीं मिला है। जब भी आदेश मिलेगा, लॉक डाउन समाप्त होते ही अदालत की शरण में जाएंगे।