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कई राज्यों ने नियमित किए संविदा कर्मचारी, उत्तराखंड में विरोध कर रही सरकार, डीए का इंतजारः  लालचंद शर्मा

देहरादून। उत्तराखंड में देहरादून महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने प्रदेश सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दीपावली पर भी कर्मचारियों को चार फीसद डीए का भुगतान पर कोई निर्णय नहीं किया गया है। इसी तरह देश में राजस्थान, उड़ीसा, तेलंगाना, पंजाब में संविदा कर्मचारी नियमित हो गए हैं। वहीं, उत्तराखंड में सरकार हाईकोर्ट के नियमितीकरण आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। हाईकोर्ट और श्रम न्यायाधिकरण कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश कर चुका है। इन्हीं आदेशों को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
      उन्होंने कहा कि संविदाकर्मियों के नियमितिकरण के खिलाफ सरकार का जाना साफ दर्शाता है कि प्रदेश सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। एक तरफ मुख्यमंत्री सरकारी नौकरियों की भर्ती निकालने के दावे अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में करते रहे हैं। आज तक 22000 नौकरियों की उनकी घोषणा धरातल पर नहीं उतरी। वहीं, संविदा कर्मियों के मामले में भी सरकार का रुख साफ दर्शाता है कि ये सरकार सिर्फ जुमलेबाजी पर आधारित है।
      उन्होंने कहा कि एक ओर दूसरे राज्यों की सरकारें एक के बाद एक संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही हैं। समान काम का समान वेतन देने की सुविधा दे रही हैं। वहीं, उत्तराखंड सरकार नियमितिकरण का विरोध कर रही है। संविदा कर्मचारी भी नियमित कर्मचारियों के समान पूरा काम कर रहे हैं। मौजूदा समय में यूपीसीएल का पूरा सप्लाई सिस्टम संविदा कर्मचारियों के हाथ में है। ऑफिस का मिनिस्टीरियल काम भी पूरी तरह उपनल कर्मियों के हाथों में है। इन कर्मचारियों को नियमित करने को श्रम न्यायाधिकरण और हाईकोर्ट तक आदेश कर चुकी है।
      महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों को लागू करने की बजाय सरकार कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट में करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है। पहले हाईकोर्ट में करोड़ों रुपये खर्च हुआ और अब सुप्रीम कोर्ट में पैसाा पानी की तरह बहाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सिडकुल, बीज विकास प्रमाणिकरण एजेंसी, राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, साधन सहकारी समिति, राज्य सहकारी संघ, राज्य भंडारण निगम, विधानसभा में कर्मचारियों को  सरकार नियमित कर चुकी है। इनमें ऐसे कर्मचारी भी हैं, जो दो से तीन साल की सेवा के बाद ही नियमित कर दिए गए हैं। वहीं, उपनल में कार्यकरत कर्मचारियों को 15 से 20 साल की सेवा के बाद भी नियमित नहीं किया गया है।
      देहरादून महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान कोरोना वॉरियर्स की सेवाओं को कभी भी लोग भूल नहीं ससते हैं। अपनी जान को जोखिम में डालकर वह रात दिन लोगों की सेवा में लगे रहे। सरकार ने इन कर्मियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि बाद में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होने पर इन कर्मचारियों को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। ऐसे में साफ जाहिर है कि ये सरकार कर्मचारियों, युवाओं और बेरोजगारों के हित में कोई फैसला नहीं लेती। वहीं, दूसरे राज्य अब पुरानी पेंशन बहाली की ओर कदम उठा रहे हैं। ऐसे में अब बेरोजगारों और कर्मचारियों को ये समझना होगा कि जब तक बीजेपी की सरकारें रहेंगी, तब तक उनका भला नहीं हो सकता है।

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