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कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले बावल विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच चुनावों से लगातार हार रही है कांग्रेस

रेवाड़ी । Haryana Assembly Election 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिहाज से कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले बावल विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच चुनावों से इस राष्ट्रीय दल को सूखा झेलना पड़ रहा है। बावल में पंजे का मजबूत नहीं हो पाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। इन चुनावों में कांग्रेस ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. एमएल रंगा को टिकट दिया है, ताकि लंबे समय से चल रहे इस सूखे को खत्म किया जा सके। हालांकि अंतिम फैसला जनता के ही दरबार में होगा। इस बार यूं भी मुकाबला कठिन होगा, क्योंकि कांग्रेस अंदरूनी लड़ाई में कमजोर हो चुकी है, जबकि भाजपा उसकी तुलना में कई गुना मजबूत है।

लगातार पांच बार हार चुकी है कांग्रेस बावल में कांग्रेस लगातार पांच चुनाव हार चुकी है। बावल को लेकर पार्टी की कोई भी रणनीति परिणामों को बदल पाने में कारगर साबित नहीं हो पाई है। वर्ष 2005 व 2014 जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, उस समय भी बावल विधानसभा क्षेत्र में एक बार निर्दलीय तो एक बार इनेलो के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।सत्ता के विरोध में विधायक बनाना बावल की जनता के लिए भी नुकसानदायक ही रहा और यहां पर विकास का पहिया वो गति नहीं पकड़ पाया, जिसकी उम्मीद थी। हालांकि 2014 में जब देश व प्रदेश दोनों ही जगह भाजपा की लहर चल रही थी, उस समय बावल की जनता ने भी बहाव के साथ ही बहना उचित समझा। यहां से पहली बार भाजपा उम्मीदवार के तौर पर डॉ. बनवारीलाल ने जीत दर्ज की। कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे। हालांकि कांग्रेस के पास बावल में बताने के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि उपमंडल है। संयुक्त पंजाब के समय आजादी से पूर्व नाभा की रियासत के दौरान बावल को जिले का दर्जा मिला हुआ था। बावल शहर के मध्य में बना विशाल किला विधानसभा मुख्यालय के ऐतिहासिक होने का भी गवाह है, लेकिन आजादी के बाद बावल के दुर्दिन आ गए। बावल को लंबे इंतजार के बाद हुड्डा सरकार के समय उपमंडल का दर्जा मिला और यही सबसे बड़ी उपलब्धि रही। बता दें कि इस आगामी 21 अक्टूबर को हरियाणा की 90 सीटों पर मतदान होना है और 24 तारीख को परिणाम आना  है।

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