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कभी अरबों डॉलर का मुनाफा कमाने वाली जेट एयरवेज आखिर बदहाली की कगार पर कैसे पहुंची

नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से मदद के लिए पंख फड़फड़ाती विमानन कंपनी जेट एयरवेज को मदद के अभाव में आखिरकार उड़ने की सभी उम्मीदें छोड़कर जमीन पर उतर जाना पड़ा। कंपनी ने बुधवार रात को अपनी आखिरी फ्लाइट संचालित की और गुरुवार से सभी उड़ानें अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया। बुधवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की अगुआई वाले बैंकों के कर्जदाता समूह ने जेट को 400 करोड़ रुपये की आपात वित्तीय मदद देने से इन्कार कर दिया।

जेट की अंतिम फ्लाइट   श्री गुरु रामदास अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट राजासांसी से बुधवार रात सवा दस बजे जेट एयरवेज की फ्लाइट ने अपनी अंतिम उड़ान भरी। इसमें 91 यात्री थे। जेट की दिल्ली-अमृतसर-मुंबई फ्लाइट बुधवार रात साढ़े नौ बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरी। इसी फ्लाइट ने रात सवा दस बजे मुंबई के लिए उड़ान भरी।

जेट की दुर्गति से 20 हजार नौकरियों पर तलवार  गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही जेट एयरवेज का परिचालन अस्थायी तौर पर बंद होने से कंपनी के करीब 20,000 कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। कंपनी के पास अपनी उड़ानों को चालू रखने के लिए पूंजी नहीं है, लिहाजा उड़ानों को बंद करने का फैसला लिया गया है। वर्तमान हालत यह है कि उस पर कर्जदाताओं के 8,000 करोड़ रुपये के अलावा कर्मचारियों का तीन महीने से ज्यादा वेतन, विमान पट्टेदारों का बकाया और रद हुई उड़ानों के एवज में यात्रियों का करोड़ों रुपये का रिफंड भी बकाया भुगतान करना है।

रद हो सकता है लाइसेंस  नागरिक विमानन महानिदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक, यदि जेट की उड़ानें शीघ्र बहाल न हुईं तो इसका एयर ऑपरेटर लाइसेंस भी रद हो सकता है।इस बीच जेट एयरवेज के अधिकारियों और कर्मचारियों ने गुरुवार को दिल्ली में जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने का निर्णय लिया है। गुरुवार को ही सुबह इनकी यूनियन के पदाधिकारी जेट एयरवेज के मुंबई स्थित मुख्यालय सिरोया सेंटर में प्रबंधन से मुलाकात करेंगे। बुधवार को दिन में जेट एयरवेज के पांच-छह विमानों ने कुछ घरेलू उड़ाने भरीं, लेकिन इनमें यात्रियों की संख्या काफी कम थी।

परेशानी का सामना  जेट की उड़ाने बंद होने का असर दूसरी एयरलाइंस पर भी पड़ने लगा है। एक तरफ तो उनकी बुकिंग अचानक बढ़ गई है। दूसरी तरफ बढ़ती मांग की भरपाई के लिए अतिरिक्त संसाधन झोंकने में उन्हें अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। इन विमानन कंपनियों ने पायलटों की कमी से उबरने के लिए जेट के पायलटों को ऑफर देना शुरू कर दिया है। लेकिन, साढ़े तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के बावजूद जेट के 1,100 पायलटों में बहुत कम इसे छोड़ने के इच्छुक हैं और एयरलाइन के साथ रहकर ही संघर्ष करना चाहते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि स्पाइसजेट जैसी लो-कॉस्ट विमानन कंपनियों ने जेट के इच्छुक पायलटों को उनके मौजूदा वेतन के मुकाबले 30 फीसद तक कम वेतन ऑफर किया है।

यात्री हुए हलकान   कई यात्रियों ने जेट की उड़ानों की अनिश्चितता से होने वाली परेशानियों के बारे में सरकार से शिकायत की है। वहीं, कई यात्री सोशल मीडिया के जरिए अपना कष्ट बयां कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

संकट का निवारण   कंपनी की दिक्कत यह है कि सरकार ने भी बुधवार को स्पष्ट कर दिया है कि वह जेट एयरवेज के संकट का निवारण मौजूदा रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत करेगी। लेकिन यात्रियों की समस्याओं का निवारण उसकी प्राथमिकताओं में ऊपर है। नागरिक विमानन मंत्रलय ने बुधवार को एक के बाद एक ट्वीट में कहा कि मंत्रलय के सचिव प्रदीप सिंह खरोला गुरुवार को भी एयरपोर्ट और एयरलाइंस कंपनियों के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे।

ऐसे आए बुरे दिन

  • 3 अगस्त, 2018 को कंपनी ने उन खबरों का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि वह 60 दिनों से ज्यादा उड़ान नहीं भर सकती
  • 11 अगस्त, 2018 को एसबीआइ चेयरमैन ने कहा कि जेट एयरवेज के कर्ज को ‘वॉच’ लिस्ट में रखा गया है
  • 27 अगस्त, 2018 को कंपनी को उससे पिछली जून तिमाही में नुकसान हुआ, कंपनी ने कहा कि वह पूंजी निवेश करेगी और खर्च में 2,000 करोड़ रुपये की कटौती करेगी।
  • 6 सितंबर, 2018 को कंपनी ने कहा कि वह 84 फीसद कर्मियों को अगस्त का वेतन दे पाई है।
  • 5 नवंबर, 2018 को खबरें आईं कि टाटा ग्रुप जेट एयरवेज में 51 फीसद हिस्सेदारी खरीदना और उसका विलय विस्तारा एयरलाइंस में करना चाहता है।
  • दिसंबर में एतिहाद एयरवेज द्वारा जेट एयरवेज के कर्जदाताओं से बातचीत की खबरें आईं।
  • इस वर्ष जनवरी में एतिहाद ने मौजूदा हालात में जेट एयरवेज में नए निवेश से असमर्थता जताई।
  • फरवरी में पट्टेदारों को बकाया भुगतान में विफलता के बाद चार विमानों का परिचालन रोका।
  • फरवरी में ही जेट के निदेशक बोर्ड ने समाधान प्रक्रिया को मंजूरी देते हुए कर्जदाताओं को सबसे बड़ा शेयरधारक बना दिया।
  • समाधान शर्तों के तहत मार्च में संस्थापक नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने कंपनी के निदेशक बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।
  • यूं शुरू हुआ था सफर

    • जेट एयरवेज की स्थापना पहली अप्रैल 1992 को नरेश गोयल के पुत्र निवाण व पुत्री नम्रता गोयल की कंपनी टेलविंड्स द्वारा की गई थी।
    • इसने 5 मई, 1993 को मुंबई व अहमदाबाद से एयर टैक्सी ऑपरेटर के तौर पर अपने ऑपरेशंस शुरू किए।
    • 12 मई, 1994 को जेट एयरवेज के सारे शेयर टेलविंड्स का ट्रांसफर कर दिए गए। टेलविंड्स में उस समय नरेश गोयल की इक्विटी 60 फीसद, जबकि गल्फ एयर और कुवैत एयर की 20-20 फीसद थी।
    • 14 जनवरी, 1995 को इसे शेड्यूल्ड एयरलाइन का दर्जा मिला।
    • इसकी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 2004 को दिल्ली से काठमांडू के लिए हुई थी।
    • 2005 में इसने अपना पहला इक्विटी इश्यू निकाला।
    • 2007 में इसने एयर सहारा को खरीद लिया और उसे जेटलाइट नाम दिया।
    • 2008 में जेटलाइट का जेट एयरवेज में विलय कर दिया।
    • 2009 में जेट एयरवेज ने जेट कनेक्ट नाम से एक और लो कॉस्ट सब्सिडियरी लांच की 2010 में कंपनी ने नंबर-वन एयरलाइन का दर्जा हासिल कर लिया।
    • उसके बाद लो-कॉस्ट एयरलाइंस से स्पर्धा के चलते वर्ष 2012 में जेट एयरवेज दूसरे स्थान पर खिसक गई।
    • नवंबर, 2013 में कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एयरलाइन एतिहाद एयरवेज के हाथों 24 फीसद इक्विटी बेचने का निर्णय लिया।
    • अक्टूबर, 2017 तक जेट एयरवेज देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बनी हुई थी। इसके पास 23,000 कर्मचारियों के अलावा 124 विमानो का विशाल बेड़ा था। कंपनी देश-विदेश के 52 शहरों के लिए उड़ाने संचालित कर रही थी।
    • वित्त वर्ष 2017-18 में जेट एयरवेज 252 अरब डॉलर के राजस्व के साथ 6.3 अरब डॉलर के लाभ में थी।

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