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मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना जरूरीः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। सतत परिवर्तनशील इस दुनिया में मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने और बनाए रखने हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करने के लिये विश्व विख्यात पूज्य संतों, 75 से अधिक महान विचारों व चिंतकों ने आज ऑनलाइन वैश्विक प्लेटफार्म के माध्यम से जानकारी दी कि इस महामारी के दौर में मानसिक तौर पर स्वस्थ कैसे रहा जाये। नेवर अलोनरू ‘द ग्लोबल मेंटल हेल्थ समिट’ का आयोजन चोपड़ा फाउंडेशन, अमरीका एल्केमिक सोनिक एनवायरनमेंट और हिंदूजा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, योगी और लेखक सद्गुरु जग्गी वासुदेव, राधानाथ स्वामी, एक भारतीय-अमेरिकी लेखक और वैकल्पिक चिकित्सा अधिवक्ता डाॅ दीपक चोपड़ा, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी, फिल्म एक्टर अभय देओल, डॉ मोहन अगाशे, ल्यूक कॉटिन्हो, शालिनी पीरिस, डॉ तारा स्वार्ट और अन्य कई विश्व विख्यात विचारकों ने सहभाग कर अपने विचार व्यक्त किये। नेवर अलोनरू  द ग्लोबल मेंटल हेल्थ समिट में विशेषज्ञों ने ‘‘ह्यूमैनिटी, टीन्स एंड फैमिली, न्यू मेंटल हेल्थ स्टोरी, टॉकिंग अबाउट मेंटल हेल्थ, टेक्नोलॉजी इन न्यू मेंटल हेल्थ, जस्टिस एंड मेंटल हेल्थ, मूवमेंट-न्यूट्रिशन मेंटल हेल्थ, हॉलिस्टिक अप्रोच टू ट्रामा, मीडिया एंड स्टोरी टेलिंग और ग्लोबल फ्यूचर आदि विषयों पर अपनी रिसर्च एवं विचार व्यक्त किये।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में सभी आयुवर्ग के लोग एक अज्ञात भय, चिंता और तनाव से गुजर रहे हैं। चारों ओर एक अनिश्चितता का वातावरण है ऐसे में हर एक को अपना जीवन संकट में नजर आ रहा है। कोविड-19 के कारण दैनिक जीवनचर्या में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुये हैं। लोगों को अपने जीवन, परिवार, रोजगार जैसी अनेक चिंतायें सता रही है। बच्चों को होम-स्कूलिंग व आॅनलाइन शिक्षा दी जा रही है जिससे वे अपने दोस्तों और हमउम्र के बच्चों से भी नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में उनका मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। स्वामी ने कहा कि हमारे ऋषियों ने तनाव मुक्त जीवन के लिये महत्वपूर्ण सूत्र दिये हैं। इस समय ‘ध्यान करना’ और ‘वर्तमान क्षण में जीना’ ही जीवन का मूल मंत्र है। मानसिक स्वास्थ्य के विषय में संवेदनशील होना आवश्यक है इसके प्रति उपेक्षावादी रवैया घातक हो सकता है। कोविड-19 महामारी ने शारीरिक स्वास्थ्य संकट के साथ मानसिक स्वास्थ्य संकट भी उत्पन्न किया है। इस महामारी से रिकवरी के बाद भी लोग भय के साये में हैं इसलिये मानसिक रूप से मजबूत होने के लिये ‘मेडिटेशन और इन्ट्रोस्पैक्शन’ को अपनी दिनचर्या में शामिल करना नितांत आवश्यक है।

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