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भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलाने को वाद दाखिल

देहरादून: शहीद-ए-आजम भगत सिंह को सरकारी अभिलेखों में शहीद का दर्जा दिलाने के लिए देहरादून के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दाखिल किया है। अदालत में 30 मार्च को मामले की सुनवाई के क्षेत्राधिकार पर बहस होगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि मामले की सुनवाई कहां की जाएगी।

दून की डिफेंस कॉलोनी के रहने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट सुदर्शन शर्मा की अधिवक्ता अनुपमा गौतम ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आठ दशक बीतने के बाद भी महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु समेत प्राणों का उत्सर्ग करने वाले कई क्रांतिकारियों को आज तक शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है।

उन्होंने बताया कि उनके मुवक्किल ने इस बारे में भारत सरकार से आरटीआइ के जरिये व ब्रिटिश लाइब्रेरी से जो सूचनाएं प्राप्त की हैं, उससे इस तथ्य की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शहीद घोषित करने के संबंध में कोई नीति भी नहीं बनाई गई।

सवाल किया कि क्या अमर शहीदों के प्रति हमारी जिम्मेदारी सिर्फ एक दिन याद करने तक ही सिमट कर रह गई है। अधिवक्ता अनुपमा ने सरदार भगत सिंह के जीवन पर लिखी गई कुछ पुस्तकों का जिक्र करते हुए कहा कि भगत सिंह के खटकरकला (पंजाब) स्थित म्यूजियम में रखी अस्थियों पर भी सवाल उठते रहे हैं, मगर भारत सरकार ने इस पर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की।

अधिवक्ता ने बताया कि वाद में गृह, रक्षा, मानव संसाधन, विधि एवं न्याय, संस्कृति मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राजेश कुमार को पार्टी बनाया गया है।

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