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महामारी की तैयारी के लिए अन्तर्राष्ट्रीय दिवसः सतत विकास लक्ष्य का संकल्पः स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण जो मानवीय त्रासदी उत्पन्न हुई है, उसे देखते हुये संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भविष्य में आने वाली महामारी की रोकथाम के लिये तैयारी, सभी की साझेदारी और भागीदारी को सुनिश्चित करने हेतु 27 दिसंबर 2020 को ’महामारी की तैयारी हेतु अन्तर्राष्ट्रीय दिवस’ घोषित किया गया है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में मानवता, गंभीर और अनिश्चित संकटों में से एक का सामना कर रही है। कोविड-19 ने दुनिया भर के लगभग सभी देशों और लोगों को प्रभावित किया है। इससे वैश्विक स्तर पर जो आबादी कमजोर थी उस पर और अधिक गंभीर और गहरा प्रभाव पड़ा है। उन लोगों के लिये लम्बे समय तक फिजिकल डिसटेंसिंग के साथ रहना असंभव हैं क्योंकि उनके पास सीमित आय के स्रोत हैं और उनके पास बुनियादी सुविधायें भी उपलब्ध नहीं हैं।
स्वामी जी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण जो समस्यायें उत्पन्न हुई उससे केवल वर्तमान पीढ़ी ही प्रभावित नहीं हुई बल्कि इस महामारी के कारण जो मानवीय त्रासदी उत्पन्न हुई उसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी होगा। इस वैश्विक महामारी ने मानव मस्तिष्क से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, अर्थव्यवस्था, विकास, संस्कृति आदि सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा और विश्व स्वास्थ्य संगठन, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिये कार्य कर रहें हैं परन्तु अब जरूरत है वैश्विक स्तर पर एक ऐसे संकल्प कि जिससे सतत और टिकाऊ दुनिया का निर्माण किया जा सके। महामारी की रोकथाम के साथ ही वैश्विक स्तर पर आपातकालीन तैयारियों को मजबूत करना नितांत आवश्यक हैं। स्वामी जी ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने एक वर्ष के इस लम्बे समय में वैश्विक स्तर पर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति को अत्यधिक प्रभावित किया है। लोगों की आजीविका और राष्ट्र की अर्थव्यवस्थाओं पर जो विपरीत प्रभाव पड़ा है उसे देखते हुये वैश्विक स्तर पर एक ऐसे अनुबंध और संकल्प की जरूरत है जो सतत विकास लक्ष्य को बढ़ावा दें। कोविड-19 ने  सीमाओं, सम्प्रदायों और संस्कृतियों में बिना भेद किये सभी के लिये एक मानवीय त्रासदी उत्पन्न की है इसलिये अब सभी को सार्वभौमिक भागीदारी और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ना होगा और ‘उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सूत्र को चरितार्थ करना होगा तभी हमारी धरती और यह वैश्विक परिवार स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है।

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