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कार्बाेहाइड्रेट्स के रसायनिकी एवं जैविकी में एडवांसमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

देहरादून। रसायन एवं जैव पूर्वेक्षण प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून और एसोसिएशन ऑफ कार्बाेहाइड्रेट केमिस्ट्स एंड टेक्नोलॉजिस्ट्स द्वारा संयुक्त रूप से वर्चुअल मोड में आयोजित एड्वान्सेस इन केमिस्ट्री एंड बायोलॉजी ऑफ कार्बाेहाइड्रेट्स पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्र हुए। जिनमें तीन व्याख्यान, 14 मौखिक प्रस्तुति और 88 पोस्टर प्रस्तुति शामिल थे। डॉ. विकास राणा की अध्यक्षता में आयोजित तीसरे तकनीकी सत्र की शुरुआत डॉ. आर.एम. माथुर, थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पटियाला के व्याख्यान के साथ हुई, जिसमें उन्होंने नैनोसेल्युलोज को पेपरमेकिंग प्रक्रिया के लिए एक आशाजनक प्रबलित सामग्री के रूप में प्रदर्शित किया।
आईआईटी, दिल्ली के डॉ. नमक्कल. रमेश ने जानूस-फेस्ड होमोअज़ा नुक्लेओसिदेस एंड स्टडी ऑफ़ देयेर सेल्फ आर्गेनाइजेशन वाटसन-क्रिक एंड हुग्स्तिन बेस पैरिंग विषयक प्रस्तुति डी। डॉ. सौम्या रंजन पुरोहित, साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए ने अपनी प्रस्तुति में वी-टाइप स्टार्च क्रिस्टल और एंजाइम प्रतिरोधी स्टार्च टाइप वी के गुणों के बीच संबंधों को समझाया। प्रो. के पी आर कार्था की अध्यक्षता में सम्पन्न चोथे तकनीकी सत्र में संश्लेषण, संरचना व्याख्या, रासायनिक संशोधन, कार्बाेहाइड्रेट आधारित नैनोकणों के संश्लेषण, बायोप्रोस्पेक्टिंग और कार्बाेहाइड्रेट के बायोरिफाइनरी पहलुओं के विषयगत क्षेत्रों में युवा शोधकर्ताओं द्वारा कुल मिलाकर 14 मौखिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें से मानस जाना, अल्बर्टा विश्वविद्यालय, अल्बर्टा, कनाडा और प्रेमेश्वरी देवी मलबम, आईआईटी, गुवाहाटी को सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुति के लिए श्यंग साइंटिस्ट अवार्डश् से सम्मानित किया गया।
डॉ. वासुदेव सिंह, डॉ. एस.एस. बिष्ट और डॉ. के. मुरली की अध्यक्षता में पांचवें तकनीकी सत्र के दौरान पोस्टर कुल 88 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। तत्पश्चात समापन सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. नवीन खरे, अध्यक्ष, एसीसीटीआई ने की। सत्र में कुछ प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया, एसीसीटीआई की टिप्पणियां और अंत में अध्यक्ष द्वारा समापन भाषण शामिल था जिसमें उन्होंने पूरे सम्मेलन की कार्यवाही पर अपनी टिप्पणी की और आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. विनीत कुमार द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ।

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