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आईएमए राष्ट्रव्यापी सेवाओं की वापसी, हरिद्वार में क्लिनिक और अस्पताल ओपीडी सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे डॉक्टर

हरिद्वार। आरजी कर मेडिका कॉलेज, कोलकाता में ड्यूटी के दौरान चेस्ट मेडिसिन की एक युवा पोस्ट ग्रेजुएट के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इसने चिकित्सा जगत और पूरे देश को समान रूप से झकझोर कर रख दिया है। तब से रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। आईएमए की ओर से भी देशभर में विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ कैंडल मार्च भी निकाला गया है। कॉलेज प्राधिकारियों द्वारा अपराध की स्थिति को खराब ढंग से संभाला गया और पुलिस जाँच पहले दिन के बाद रुक गई।
13 अगस्त 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अब तक की जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए राज्य पुलिस को मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने को कहा। यदि राज्य पुलिस अपनी जांच जारी रखती है तो उन्होंने सबूतों के नष्ट होने की संभावना भी जताई। 15 अगस्त 2024 को, अस्पताल में एक बड़ी भीड़ द्वारा तोड़फोड़ की गई, जिसने उस क्षेत्र सहित अस्पताल के विभिन्न हिस्सों को नष्ट कर दिया जहां पीड़िता मिली थी। विरोध प्रदर्शन कर रहे मेडिकल छात्रों पर भी हमला किया गया।
पेशे की प्रकृति के कारण डॉक्टर, विशेषकर महिलाएं हिंसा की चपेट में हैं। अस्पतालों और परिसरों के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा प्रदान करना अधिकारियों का काम है। शारीरिक हमले और अपराध दोनों ही डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरतों के प्रति संबंधित अधिकारियों की उदासीनता और असंवेदनशीलता का परिणाम हैं। आईएमए हरिद्वार के अध्यक्ष डॅा. विकास दीक्षित कहा कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज कोलकाता में क्रूर अपराध और स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदर्शनकारी छात्रों पर की गई गुंडागर्दी के बाद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने शनिवार 17.08.2024 को सुबह 6 बजे से रविवार 18.08.2024 सुबह 6 बजे तक 24 धंटे देश भर में आधुनिक चिकित्सा के डॉक्टरों की सेवाएं बंद करने की घोषणा की है। आईएमए हरिद्वार के सचिव डॉ. विमल कुमार ने बताया कि इस राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में अन्य सहयोगी संगठन भी भाग ले रहे हैं। इसलिए हरिद्वार में क्लिनिक और अस्पताल ओपीडी सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे। सभी अमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। उन्होंने बताया कि शाम 6 बजे भगतसिंह चैक से प्रेमनगर आश्रम चैक तक विरोध में केंडल मार्च निकाला जाएगा। उन्होने कहा कि आईएमए को अपने डॉक्टरों के उचित मुद्दे के प्रति राष्ट्र की सहानुभूति की भी आवश्यकता है।

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