Uttarakhand

आईआईटी रुड़की के स्टार्ट-अप और उद्यमी नयी तकनीक और चिकित्सा उपकरणों का विकास करके कोविड-19 से निपटने में कर रहे सहयोग

रुड़की। आईआईटी रुड़की के स्टार्ट-अप और उद्यमी नयी तकनीक और चिकित्सा उपकरणों का युद्ध स्तर पर विकास करके कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई को एक अलग आयाम दे रहे हैं। टीआईडीईएस बिजनेस इन्क्यूबेटर में इन्क्यूबेटेड ये उत्पाद जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगे| महामारी की इस स्थिति से निपटने के लिए डाइग्नोसिस, उपचार और सुरक्षा संबंधी उपकरण तैयार किए गए हैं।

“संकट की इस घड़ी में हम कोविड-19 से निपटने के सरकार के प्रयासों को गति प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। टीआईडीईएस बिजनेस इन्क्यूबेटर उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डाइग्नोसिस, उपचार और सुरक्षा संबंधी उपकरणों के डिजाइन के साथ हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं,” आजम अली खान, सीईओ, टीआईडीईएस, आईआईटी रुड़की ने कहा। लॉग9 मैटेरियल्स एक सिक्योईया और इन्फिनिटी वित्त पोषित स्टार्टअप है, यह एक नया और खास ‘कोरोनाओवेन’ नामक उत्पाद लेकर आया है| यह स्वास्थ्य संस्थानों और घरों में नियमित उपयोग के उत्पादों / वस्तुओं की सतहों को प्रभावी ढंग से साफ करने के लिए विशेष डिजाइन मापदंडों के साथ ही यूवी-सी प्रकाश का उपयोग करता है, और इस प्रकार यह वायरस (कोविद -19 वायरस पैदा करने वाले) का सतह से मानव में संचरण रोकता है। टीआईडीईएस इन्क्यूबेटेड/निर्देशित लॉग9 मैटेरियल्स ने लॉकडाउन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हुए केवल दो सप्ताह के भीतर इस तकनीक को विकसित किया और अब यह बड़े पैमाने इसके वितरण के लिए तैयार है।

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर कमल जैन द्वारा स्थापित एक इनक्यूबेटेड स्टार्टअप रेवेन आई ने कोविड -19 से लड़ने के  लिए एक खास निगरानी प्रणाली विकसित की है जिसमें ट्रैकिंग मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा किया जाएगा। सिस्टम किसी भी व्यक्ति द्वारा क्वारंटाइन का उल्लंघन करने पर जियो-फेंसिंग तकनीक का उपयोग करते हुए एक अलर्ट उत्पन्न करता है। यदि नेटवर्क उपलब्ध नहीं हो तो एप्लिकेशन एसएमएस द्वारा अलर्ट भेजता है। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सैनिटाइज़र की आवश्यकता और इसकी कमी को देखते हुए हील एग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड ने लैब में ही एक हर्बल सैनिटाइज़र बनाया तथा आईआईटी रूड़की परिसर में ही 2500 लीटर से अधिक निःशुल्क वितरित किया। स्टार्टअप मुख्यतः विभिन्न प्रकार के कैंसरों का तेजी से पता लगाने के लिए संबंधित प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है| लेकिन, उद्यम की सच्ची भावना रखते हुए यह जरूरत की इस घड़ी में आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग के लिए आगे आया। “यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारे यहां काफी पहले और वर्तमान में भी इनक्यूबेटेड कंपनियां कोविड-19 से निपटने के लिए आगे आ रही हैं। हम इस संकट में सरकार के साथ खड़े हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारा देश हमें महामारी के संकट से बचाने में सफल होगा, ” प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक आईआईटी रुड़की, ने कहा।

देश में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के साथ ही सबसे बड़ी चुनौती वेंटिलेटर की पर्याप्तता सुनिश्चित करना है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी ने एम्स ऋषिकेश के प्रोफेसर अरुप दास के साथ मिलकर एक कम लागत वाली, पोर्टेबल क्लोज्ड-लूप वेंटिलेटर विकसित किया है। ‘प्राण वायु’ नाम के इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट के सांस को नियंत्रित कर सकती है। इसकी कुछ अतिरिक्त विशेषताएं स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा रिमोट मॉनिटरिंग, सभी ऑपरेटिंग मीटर का टच स्क्रीन द्वारा नियंत्रण, साँस की हवा के लिए नमी और तापमान नियंत्रण हैं। वेंटिलेटर के बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए उद्योग समुदाय से कई प्रस्ताव मिले हैं। टीम ने फेस शील्ड भी विकसित किया है जिसका उपयोग कोविड-19 रोगियों का इलाज करते समय स्वास्थ्य कर्मियों / डॉक्टरों द्वारा किया जा सकता है। संस्थान के पूर्व छात्र अमित पाठक द्वारा स्थापित स्मार्ट हेलमेट स्टार्टअप शेलिओस एक पावर्ड एयर प्यूरीफाइंग रेस्पिरेटर (पीएपीआर) विकसित कर रहा है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य कर्मी / डॉक्टर अस्पताल परिसर में संक्रमण को की संभावनाओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं। वे एक कम लागत वाली श्वसन सहायता प्रणाली के मॉडल पर भी काम कर रहे हैं। आईआईटी रूडकी के एक समूह के नेतृत्व में एक क्लीनटेक स्टार्टअप व्यान एक बेहद कम लागत वाला और पुन: प्रयोग के योग्य मास्क विकसित कर रहा है, बड़े पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। शेलिओस और व्यान दोनों को टीआईडीईएस बीआई द्वारा वित्त पोषित है। पूर्व छात्र शुभम राठौर द्वारा स्थापित टेस्ट राइट सॉल्यूशन एक रियल टाइम पीसीआर और वायरस डिटेक्शन किट विकसित कर रहा है। स्वदेशी रूप से विकसित इस प्रणाली की लागत सामान्य लागत के 1/4 वें भाग रहने की उम्मीद है|

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