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अगर यही रहे हालात तो 1122 बस्तियां तरसेंगी पानी को

देहरादून: प्रदेश में इस वर्ष गर्मियों में 92 पेयजल योजनाएं परेशानी का सबब बन सकती हैं। इनके जलस्रोत सूखने की आशंका जताई जा रही है, जिस कारण इनसे जुड़ी 1122 बस्तियों में पेयजल संकट गहरा सकता है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसके मद्देनजर गर्मी के दिनों में पेयजल संकट से निपटने के लिए अभी से कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर व जेनरेटर पहले से ही रिजर्व रखे जाएं।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने पेयजल, सूखा मैन्यूअल, स्वच्छ भारत व नमामि गंगे की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पेयजल संकट से निपटने के लिए अभी से कदम उठाने की जरूरत है। जहां आवश्यकता हो वहां हैंडपंप लगाए जाएं। उन्होंने जिलाधिकारियों को सूखा मैन्यूअल का भी गहराई से अध्ययन करने के निर्देश दिए। कहा कि सूखा मैन्यूअल के पैरामीटर के हिसाब से तैयारी की जाए।

इसमें ट्रिगर एक में बारिश न होने से सूखे के संकेत मिलते हैं। ट्रिगर दो में जलस्रोत, जलाशय, भूजल, नमी और वनस्पति इंडेक्स के संकेत मिलते हैं कि पानी न होने का असर फसलों पर पड़ेगा या नहीं। ट्रिगर तीन में मौके पर निरीक्षण कर सूखे से निपटने की कार्ययोजना बनानी है। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अभी तक कहीं भी सूखे की स्थिति नहीं है। मुख्य सचिव ने नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान में जियो टेगिंग का कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि नियमित रूप से गंगा और स्वच्छ भारत अभियान की बैठक की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि गंगा में किसी भी तरह का कूड़ा कचरा न जाए। गंगा के किनारे पडऩे वाली 132 ग्राम पंचायतों के 268 गांवों में लगातार मॉनिटरिंग की जाए। बैठक में सचिव कृषि डी सेंथिल पांडियन, सचिव पेयजल अरविंद ह्यांकी, निदेशक नमामि गंगे राजीव लांघर, सचिव नियोजन रंजीत सिन्हा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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