कन्या है तो कल है-बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओः स्वामी चिदानंद सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ’’राष्ट्रीय बालिका दिवस’’ के अवसर पर कहा कि ‘कन्या है तो कल है।’ हमारी बेटियां और बेटे, दोनों के लिए प्रेम, देखभाल और अवसर हर समय समान रूप से उपलब्ध होने चाहिए। हमें यह याद रखना होगा कि हमारे बच्चे हमसे ही सीखते हैं, वे जो आज देख और सीख रहे हैं वही कल का भविष्य बनेगा इसलिये उनके सामने समानता का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। बेटियों और बेटों को समान शिक्षा, समान अवसर और समान स्वतंत्रता के अवसर उपलब्ध कराये जाये ताकि राष्ट्र और समाज के स्तर पर उनकी समान हिस्सेदारी और भागीदारी हो।
स्वामी ने कहा कि अब समय आ गया है कि बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण किया जाये तथा उन्हें उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान किये जाये ताकि उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाईयों का सामना करने के लिये वे स्वयं सक्षम हो सके। समाज को जागरूक करना होगा ताकि बालिकाओं और बालकों को समान अधिकार प्राप्त हो सके। ‘किशोरियों का सशक्तीकरण अर्थात समाज का नवजागरण’। ‘शिक्षित बेटी अर्थात एक कुशल महिला।’ कुशल व स्किल्ड नारी एक समृद्ध विश्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
स्वामी ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि बालिकाओं को जन्म से ही असमानताओं का सामना करना पड़ता है जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। भारत में रहने वाले सभी लोग एक विकसित और शिक्षित राष्ट्र के निवासी है इसलिये भारतीय समाज में बेटियों और बेटों को उचित शिक्षा, सम्मान और अवसर मिलना चाहिये। अब समाज को बालिकाओं के महत्व और भूमिका के बारे में जागरूक होना होगा। देश के विकास के लिए और भारत में बालिकाओं के कल्याण के लिए लैंगिक समानता अत्यंत जरूरी है। साथ ही 18 साल से कम उम्र की लड़की के लिए बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगानी होगी। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर संकल्प करे कि समाज में बेटियों की सुरक्षा तथा उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए मिलकर प्रयास करेंगेे ताकि समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार के शोषण और सामाजिक भेदभाव से उन्हें मुक्ति मिले तथा समानता व गरिमा के साथ बेटियां भी जीवनयापन कर सकें।