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हाइकोर्ट ने हमें खिलाडिय़ों के लिए गाइडलाइंस तय करने का निर्देश दिया थाः- अनिल विज

चंडीगढ़। खिलाडियों के प्रोेफशनल खेल और विज्ञापन की कमाई का बड़ा हिस्‍सा जमा कराने के आदेश के केंद्र में कहीं स्‍टार मुक्‍केबाज विजेंदर सिंह तो नहीं हैं। दरअसल, खेल विभाग द्वारा जारी जिस आदेश पर सारे प्रदेश में घमासान मचा उसकी पटकथा करीब तीन साल पहले तैयार हो गई थी। पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार में पुलिस विभाग में डीएसपी नियुक्त किए गए बॉक्सर विजेंदर के प्रोफेशनल मुक्केबाजी में उतरने को लेकर मनोहर सरकार में खासा विवाद हुआ था। खेल मंत्री अनिल विज से उनका विवाद सुर्खियों में आ गया था और उसी समय से ‘विज मिशन’ शुरू हो गया था।

प्रोफेशनल मुक्केबाजी में उतरने के लिए सरकार से भिड़ गए थे विजेंद्र, हाईकोर्ट में चला था केस

विजेंदर ने जून 2015 में इंग्लैंड की एक कंपनी के साथ करार करते हुए प्रो बॉक्सिंग में भाग लेने का फैसला किया था। विजेंदर का हरियाणा सरकार में प्रोबेशन समय पूरा नहीं होने के कारण तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें लंबी छुट्टी देने से मना कर दिया था। इसके कारण विजेंदर तथा खेल मंत्री अनिल विज के बीच काफी विवाद हुआ था। सरकार ने विजेंदर को छुट्टी नहीं दी थी और वह बगैर छुट्टी मंजूर हुए ही प्रो बॉक्सिंग में भाग लेने के लिए विदेश चले गए थे। छुट्टी का विवाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी गया था जहां सरकार को फटकार लगाई गई थी।यह सारा प्रकरण खेल मंत्री अनिल विज को काफी नागवार गुजरा और उन्‍होंने इस बारे में कदम उठाने का फैयला कर लिया। वर्ष 2015 में ही खेल मंत्री अनिल विज ने प्रोफेशनल खिलाडिय़ों के लिए अलग नियम बनाने के दिए आदेश दे दिए थे।  खेल प्रेमियों के दबाव के कारण सरकार को विजेंद्र के सामने घुटने टेकने पड़े थे। सरकार ने सन 2015 में ऐन मौके पर नियमों में फेरबदल करते हुए विजेंदर की छुट्टी मंजूर की थी।उसी समय खेल मंत्री अनिल विज ने कहा था कि खेल नीति में प्रोफेशनल खिलाडिय़ों के संबंध में नए नियम लागू किए जाएंगे। सूत्रों की मानें तो खेलकूद विभाग के आला अधिकारी तभी से इस नीति में बदलाव की तैयारी कर रहे थे। अब विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका ने कार्यभार संभालने के कुछ समय बाद इसे लागू कर दिया। ऐसे में खेल क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि पूरे मामले की जड़ में विजेंदर प्रकरण जरूर है।

वर्षों पुराना नियम खिलाडिय़ों पर लागू किया : विज

अधिसूचना पर सरकार की ओर से सफाई देते हुए खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। हरियाणा सरकार के नियम 56 के तहत अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी कोई व्यावसायिक आय हासिल करता है तो उसका एक तिहाई वह सरकारी खजाने में जमा कराएगा।

अनिल विज पूरे मामले में स्‍टार बॉक्‍सर विजेंदर सिंह की चर्चा करना नहीं भूले। विज ने कहा, हमने बॉक्सर विजेंद्र कुमार को जब प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए इजाजत दी थी तब हाइकोर्ट ने हमें खिलाडिय़ों के लिए गाइडलाइंस तय करने का निर्देश दिया था। सरकारी विभागों में लगे जो खिलाड़ी प्रोफेशनल खेलते हैं, उन्हीं के लिए यह नोटिफिकेशन जारी की गई थी, जोकि बहुत पुराना नियम है। हमने हाइकोर्ट के कहे अनुसार रूल फ्रेम किए हैं। नई अधिसूचना पर घमासान के बाद खेल विभाग के किसी न किसी अफसर की बलि चढऩा तय है। हालांकि खेल मंत्री अनिल विज और महकमे के प्रधान सचिव अपने फैसले के पक्ष में तर्क गिना रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मामले में हस्तक्षेप करने के बाद विवाद के लिए जिम्मेदार किसी अधिकारी पर गाज गिरने के पूरे आसार हैं। विवादित अधिसूचना के लिए निदेशालय के ही किसी अफसर के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है।

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