‘‘हैलो उत्तराखण्ड ऐप’’ के जरिये गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली/भाषा को मिलेगी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
देहरादून। गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली/भाषा को अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने जा रही है। क्या कभी आपने सोचा, कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी शब्द जर्मन, चाइनीस, जैपनिज, इटेलियन आंदि भाषा में समझा और बोला जा सकेगा ? जी, हाॅ, इसे साकार किया है, देहरादून के युवा आई.टी.पेशेवर, डाटा एक्सपर्ट एवं prsi के सक्रिय सदस्य आकाश शर्मा ने। आकाश ने एक ‘‘हैलो उत्तराखण्ड ऐप’’ बनाया है, जो गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी शब्दों को अन्य भाषा में अनुवाद करेगा। आकाश मूल रूप से पौड़ी जनपद का रहने वाले है, जिनके पूर्वज काफी वर्तमान में आकाश एक आई.टी. कंपनी संचालित कर रहे है। आकाश का मानना है कि हमारे युवाओं को अपने राज्य में रहकर ही अपनी प्रतिभा का उपयोग राज्यहित में करना चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की रिर्वस पलायन की मुहिम से प्रभावित होकर आकाश ने राज्य में रहकर अपने समाज के लिए कार्य करने का निर्णय लिया है।
आकाश स्वंय एक ट्रेकर है और लद्दाख सहित कई अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में ट्रेकिंग कर चुके है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। हर साल लाखों विदेशी पर्यटन राज्य में आते है। विदेशी पर्यटको और हमारे स्थानीय निवासियों के मध्य भाषा को लेकर काफी समस्या रहती है। इसी बात को महसूस करते हुए उन्होंने सोचा कि एक ऐसा ऐप तैयार किया जाय, जो हमारी स्थानीय लोगो की इस समस्या को दूर कर सके। इससे विदेशी पर्यटकों और हमारी स्थानीय लोगो के मध्य भाषा की समस्या समाप्त हो जायेगी। कोई भी विदेशी पर्यटक अपने देश की भाषा में उत्तराखण्ड की गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली/भाषा के शब्दों को बोल व समझ सकेगा।
अभी इस ऐप का केवल बीटा वर्जन जारी किया गया है, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस ऐप पर लगभग दो वर्ष से आकाश और उनकी टीम काम कर रही है, जो अब तैयार हो चुकी है। इस ऐप को आगामी फरवरी, 2020 में वृहद स्तर पर लॉच किया जायेगा। अभी केवल आमजन के सुझाव व परीक्षण के तौर पर लॉच किया गया, ताकि स्थानीय स्तर पर बोले जाने वाले शब्दों का उच्चारण व अन्य किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या को जाना व समझा जा सके। तकनीकी परीक्षण सफल होने के बाद इस ऐप को वृहद स्तर पर लॉच किया जायेगा। अभी ऐप से लगभग 100 भाषाओं में अनुवाद हो सकेगा।आकाश का कहना है कि इस ऐप के आने के बाद हमारे राज्य में पर्यटन क्षेत्र को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। साथ ही हमारी सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सभ्यता से भी विदेशी पर्यटक और अच्छे से जान व समझ सकेंगे।आकाश का कहना है कि उनके इस प्रयास में सभी राज्यवासियों का सहयोग चाहिए। आकाश उम्मीद करते है, कि उनके इस प्रयास से राज्य सरकार, विशेषकर माननीय मुख्यमंत्री उत्सावर्धन करते हुए उन्हें सहयोग प्रदान करेंगे।आकाश ने इससे पहले राज्य सरकार के लिए ‘‘उत्तराखण्ड पुलिस ऐप’’ भी तैयार किया था, जिसे गूगल प्ले स्टोर से लगभग एक लाख बार डाउनलोड किया गया।