हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर का पार्टी से इस्तीफा, उनके समर्थक कांग्रेस नेताओं ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दिया
नई दिल्ली/चंडीगढ़। Haryana Assembly Election 2019 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रधान डॉ. अशोक तंवर ने पार्टी की से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा भेजा है। इससे राज्य में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। तंवर ने कहा कि बड़े दुख के साथ पार्टी छोड़नी पड़ रही है। उनको भारतीय जनता पार्टी सहित कई पार्टियों के ऑफर आ रहे हैं। दूसरी ओर, तंवर के इस्तीफे के बाद उनके समर्थक कांग्रस नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। रोतहक में कई कांग्रेस पदाधिकारियों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है।
रोहतक में कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ी
रोहतक में तंवर गुट के कांग्रेस पदाधिकारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। यहां पत्रकारों से बातचीत में इन नेताओं ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में कांग्रेस को हाईजैक कर लिया है। इस कारण कांग्रेस के सच्चे कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है।
तंवर ने कहा- पार्टी के स्वार्थी नेताओं ने आतंरिक लोकतंत्र खत्म किया कांग्रेस की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे चार पेज के त्यागपत्र में डॉ. तंवर ने कहा है कि पार्टी का मौजूदा संकट राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की वजह से नहीं बल्कि गंभीर आंतरिक विरोधाभास से है। परिश्रमी कांग्रेस कार्यकर्ता जो किसी बड़े राजनीतिक घराने से नहीं आते और जिनके पास पैसा नहीं है, उनका पार्टी में कोई महत्व नहीं है। तंवर ने कहा कि ब्लैकमेलिंग और गलत तरीके से अर्जित किए पैसे के बल पर कुछ लोग कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र को ध्वस्त कर चुके हैं। ये लोग पार्टी में जमीनी स्तर पर काम करने वालों को आगे नहीं आने देना चाहते। मैं अकेले ऐसा नहीं हूं जो इन लोगों के शिकार हुए हैं, ऐसे हजारों कार्यकर्ता हैं जो इनकी वजह से अपनी जगह नहीं बना पाते। तंवर ने लिखा है, कुछ सालों के अनुभव में मुझे अहसास हुआ है कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस के इन स्वार्थी नेताओं ने पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का खात्मा कर दिया है। अब इन परिस्थितियों में मेरे लिए अपना और पिछड़े, दलित वर्ग के कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान बनाए रखना आसान नहीं होगा। बता दें कि अशोक तंवर ने Haryana Assembly Election 2019 के लिए कांग्रेस टिकट के बंटवारे से असंतुष्ट होकर दो-तीन दिन पहले पार्टी की चुनाव समिति सहित सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पार्टी टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था। टिकट बंटवारे में धांधली का आरोप लगाते हुए तंवर ने नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया था। अशोक तंवर ने अपने इस्तीफे के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी। तंवर ने कहा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं से लंबे विचार-विमर्श के बाद मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके कारणाें के बारे में सभी कांग्रेसजनों और जनता को अच्छी तरह पता है।
अशोक तंवर बोले- चुनाव प्रचार नहीं करुंगा, लेकिन कुछ नेताओं की मरोड़ निकालूंगा पत्रकारों से बातचीत में अशोक तंवर ने कहा, रामलीला मैदान में जब रैली हुई तो लाल पगड़ी उतार दी गई क्योंकि वे हमारे समर्थकों ने पहनी थी। मैं उनको नेता क्यों मानूं जिन्होंने मुझे या हाईकमान काे पिछले पांच साल में नेता नहीं माना। कांग्रेस विचारधारा से कोई शिकायत नहीं, सोनिया गांधी मां समान और राहुल गांधी बड़े भाई हैं। तंवर ने कहा कि हरियाणा चुनाव में प्रचार नहीं करूंगा बल्कि कांग्रेस के कुछ ऐसे नेताओं की मरोड़ निकालूंगा जिनकी गर्दन में सरिया है।
कहा- जिन नेताओं को राहुल गांधी ने बढ़ाया उनके खिलाफ हो रही है साजिश तंवर ने कहा कि राहुल गांधी ने जिन नेताओं को आगे बढ़ाया, उनको अब साजिश के तहत खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। मेरे पास एससीएसटी एक्ट में बदलाव और संत रविदास मंदिर तोड़े जाने के अनेक सामाजिक मुद्दे हैं। अब नई लीडरशिप को तैयार करने का काम करूंगा। पार्टी छोड़ने से पहले ही भाजपा सहित अन्य कई पार्टियों की तरफ से ऑफर आ रहे थे मगर अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया है। तंवर ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के किसी प्रभारी ने हरियाणा के कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी सिर्फ उन सांसदों, पूर्व सांसदों अथवा विधायकों, पूर्व विधायकों से मिलते रहे जो किसी ने किसी राजनीतिक घराने से जुड़े रहे।कांग्रेस में अब निर्णय वे कर रहे हैं जिनका जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ाव नहीं है। कार्यकर्ता का शोषण होगा तो विद्रोह भी होता रहेगा। यह पूछे जाने पर कि उनकी प्रदेश कांग्रेस के जिन नेताओं से नाराजगी है वे कौन हैं ताे तंवर ने कहा ‘हर घर में रावण, हर घर लंका, राम कहां से लाऊं। जब पानी सिर से ऊपर जाता है तो कोई झटपटाता है, कोई मर जाता है, कोई झटके में ऊपर निकल आता है। हमने झटके से बाहर आने का प्रयास किया है।’
बता दें कि अशोक तंवर को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। हुड्डा के करीब दो साल से बनाए जा रहे दबाव के बाद पार्टी नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (Haryana Assembly Election 2019) की घोषणा से ठीक पहले उनको प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। इसके बाद कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव अभियान समिति की कमान देने के साथ विधायक दल का नेता बनाया गया था। चुनाव कमेटी सहित कई समितियों में तंवर को भी शामिल किया गया, लेकिन वह इनकी बैठकों में शामिल नहीं हुए। इसके साथ ही तंवर ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तंवर के समर्थकों ने हरियाणा में कांग्रेस टिकट की घोषणा से पहले नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर धरना दिया और प्रदर्शन किया। इसमें बाद में अशाेक तंवर भी पहुंचे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जमकर निशाना साधा। इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद व अन्य नेताओं को भी निशाने पर लिया। अशोक तंवर ने कांग्रेस टिकट बेचे जाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सोहना विधानसभा सीट का टिकट पांच करोड़ रुपये में बेचा गया था। कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा के बाद खुलासा हुआ कि सोहना से जिस व्यक्ति को टिकट दिया गया है उसकी कुल संपत्ति भी पांच करोड़ रुपये नहीं है। इससे अशोक तंवर की बहुत किरकिरी हुई। कुमारी सैलजा ने भी तंवर के बयान पर आपत्ति जताई और टिकट बांटने के आरोप को अनुचित करार दिया। दूसरी ओर, तंवर के इस्तीफे की घोषणा के बाद सिरसा में उनके आवास से कांग्रेस के बैनर, पोस्टर और बोर्ड आदि हटा दिए गए। उनके समर्थकों ने वहां लगे कांग्रेस के झंडे भी हटा दिए। उनकी कोठी पर फिलहाल सन्नाटा है और संभावना है कि तंवर के यहां आने के बाद हलचल बढ़ेेगी।