आतिशबाजी से बेहद खराब जोन में पहुंचा हरिद्वार
हरिद्वार। दीपावली पर वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए एनजीटी के आदेशों को लोगों ने पटाकों के साथ हवा में उड़ा दिया। सरकार ने एनजीटी के हवाले से हरिद्वार में तेज आवाज और धुएं वाले पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। बाजार में ग्रीन क्रैकर्स उपलब्ध नहीं थे। इससे पुलिस और प्रशासन भी असमंजस में रहा। लोगों ने दिल खोलकर आतिशबाजी की। इससे हरिद्वार का वायु प्रदूषण बेहद खराब जोन तक पहुंच गया। पीसीबी ने वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी किए तो हरिद्वार का एकयूआई 352 रिकॉर्ड हुआ। हरिद्वार प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। विकास कार्यों के लिए सड़कों की खुदाई ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं। वहीं पिछले साल की स्थिति को देखते हुए वायु प्रदूषण की रोकथाम को 11 नवंबर को सरकार ने एनजीटी के हवाले से तेज आवाज और धुएं वाले पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद लोगों ने जमकर पटाखे छोड़े। पीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक दीपावली की रात हरिद्वार का एकयूआई 352 था। जो कि पिछले के मुकाबले मात्र 7 कम था। पीएम 10 की मात्रा भी 361.67 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुई । जो कि पिछले साल की तुलना में 34.68 अधिक रही। पीएम 2.5 की मात्रा 187 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। दीपावली पर सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 32.10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 50.17 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुई।