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भारत और पाकिस्‍तान के बीच वार्ता में बड़ी रुकावट बना है आतंकी हाफिज सईद

मानवीय आधार पर विश्वास बहाली के कदम उठाने के प्रस्ताव को पाकिस्तान की तरफ से मान लिए जाने के बावजूद भारत अभी इस पड़ोसी देश पर भरोसा नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की तरफ से समग्र वार्ता शुरू करने के प्रस्ताव पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक तो पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता और दूसरा आतंकी हाफिज सईद को लेकर उसका, ये दो ऐसे कारण हैं कि भारत पाकिस्तान पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान में जल्द होने वाले आम चुनाव को देखते हुए भी भारत अभी द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर कोई नई पहल नहीं करना चाहता। हालांकि इस बाबत जानकारों की राय भी दो तरफा दिखाई देती है।
भारत को भी कदम आगे बढ़ाने की जरूरत
इस बाबत बात करते हुए भारत के पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर ने कहा कि यदि पाकिस्‍तान की तरफ से इस तरह की पेशकश की गई है तो भारत को भी इस पर विचार करने की जरूरत है। उनका कहना है कि आतंकी हाफिज सईद को लेकर बातचीत करने से बचते रहने की जरूरत नहीं है, क्‍योंकि इससे इस तरह के आतंकियों के मंसूबे सफल होते हैं। लिहाजा अब वक्‍त आ गया है कि भारत को भी एक कदम आगे बढ़कर बातचीत का सिलसिला शुरू करना चाहिए। हैदर का यह भी कहना था कि सईद के बारे में हर कोई बखूबी जानता है। वह लगातार भारत के खिलाफ जहर घोलता रहता है। इसके अलावा जम्‍मू कश्‍मीर में भी उसकी आतंकी ग‍तिविधियां जारी हैं। लेकिन यदि इस वजह से हम दोनों मुल्‍कों ने बात नहीं की तो इसका फायदा दूसरे देश उठाएंगे। इनमें चीन भी शामिल है जो हमेशा से पाकिस्‍तान का इस्‍तेमाल अपने फायदे के लिए करता आया है। लिहाजा ऐसे देशों को मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

पाक से बातचीत पर कुछ समय रुकना चाहिए
वहीं विदेश मामलों के जानकार और वरिष्‍ठ पत्रकार कमर आगा मानते हैं कि पाकिस्‍तान की इस पेशकश पर फिलहाल भारत को कुछ समय के लिए रुकना चाहिए। हालांकि आतंकी हाफिज सईद के मुद्दे पर उनका भी मत कमोबेश हैदर की तरह ही है। उनका कहना है कि कुछ समय में पाकिस्‍तान में चुनाव होने वाले हैं। लिहाजा आने वाली सरकार तक इंतजार करना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्‍या आने वाली सरकार में बातचीत का माहौल बन पाएगा, उनका जवाब था कि इस बारे में फिलहाल कहपाना काफी मुश्किल है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि मौजूदा समय में पाकिस्‍तान का पूरी तरह से तालिबानीकरण हो चुका है।

सेना भारत से बातचीत की पक्षधर नहीं

जहां तक वहां की पाकिस्‍तान की सरकारों की बात है तो वहां की सरकारें पहले भी इसकी पक्षधर रही हैं। लेकिन उनके सामने समस्‍या सेना की है जो कभी भी भारत से बातचीत की पक्षधर नहीं रही है। इसके अलावा हाफिज सईद और उस जैसे आतंकी तो इसके कभी भी पक्षधर नहीं थे। आगा का ये भी कहना है कि मौजूदा समय में पाकिस्‍तान के अंदर न्‍यायपालिका से लेकर सेना तक का तालिबानीकरण हो चुका है। ये सभी एक सुर में आतंकियों की मदद करने का काम करती हैं। पिछले दिनों पाकिस्‍तान के हाईकोर्ट ने हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी को लेकर जो आदेश वहां के चुनाव आयोग को दिया है वह इसकी तसदीक करता है। उनका साफ कहना था कि जिस तरह से सईद को लेकर वहां बात हो रही है उस हिसाब से वह आने वाले चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाला है। ऐसे में मुश्किल ही उसके सामने कोई अपना उम्‍मीद्वार उतारेगा। ऐसे में बातचीत से कोई फायदा दिखाई नहीं देता है, लिहाजा फिलहाल रुकना ही बेहतर होगा।
दो दिन पहले की गई घोषणा
आपको बता दें कि दो दिन पहले भारत और पाकिस्तान ने मानवीय आधार पर विश्वास बहाली के लिए एक साथ कुछ उपायों की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री अब्बास ने यह उम्मीद जताई थी कि यह आने वाले दिनों में दोनो देशों के बीच समग्र वार्ता का दौर नए सिरे से शुरू करने में मददगार साबित होगा। इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फिलहाल इस तरह की उम्मीद करना अंधेरे में तीर मारने जैसा है। अभी तो यह देखना होगा कि कैदियों को छोड़ने और एक दूसरे देश में न्यायिक आयोग को भेजने जैसे जिन मुद्दों पर सहमति बनी है उसे किस तरह से अमल में लाया जाता है। पाकिस्तान में जारी राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए भी अभी बातचीत की उम्मीद करना तार्किक नहीं होगा। हां, यह हो सकता है कि विश्वास बहाली के लिए दोनो तरफ से कुछ और कदमों की घोषणा हो।

सईद को लेकर पाक का सच उजागर
यह पूछे जाने पर कि भारत के लिए पाकिस्तान विदेश मंत्री के प्रस्ताव का क्या मतलब है, तो विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना था कि सईद को लेकर पाकिस्तान का सच लगातार सामने आ रहा है। सईद एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी है जिस पर कार्रवाई करना पाकिस्तान सरकार का कर्तव्य है। लेकिन उल्टे सईद और उसकी गतिविधियों व संगठन को जायज ठहराने की कोशिश हो रही है।’ हाफिज सईद के राजनीतिक संगठन को हाल ही में पाकिस्तान के न्यायालयों ने चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने की इजाजत दी है। रवीश कुमार उसी पर अपनी प्रतिक्रिया जता रहे थे। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान के न्यायालय हाफिज सईद जैसे आतंकी पर इसलिए रोक नहीं लगा पा रही है कि वहां की सरकार उसके खिलाफ सुबूत नहीं दे रही है।

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