ग्रेटर नोएडा हादसाः कई और जिंदगियां खतरे में, सर्वे में हुआ खुलासा
नोएडा । ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में बनी सभी अवैध इमारतों में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। किसी भी इमारत का प्राधिकरण से नक्शा पास नहीं कराया गया है। सभी इमारतों में बने फ्लैटों के जमींदोज होने का खतरा बना हुआ है। सोमवार को प्राधिकरण की छह सदस्यीय टीम ने 25 इमारतों का सर्वे किया। इनमें बने फ्लैटों में घटिया निर्माण सामग्री लगी मिली। प्राधिकरण की सर्वे टीम का मानना है कि फ्लैटों के जमींदोज होने का खतरा है। यह लोगों के जीवन पर भारी पड़ सकता है। इसलिए लोगों को तत्काल दूसरी जगह शिफ्ट करने की जरूरत है।
इससे पहले प्राधिकरण के परियोजना विभाग के इंजीनियरों की टीम 35 अवैध इमारतों का सर्वे कर चुकी है। उन पर नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं। सोमवार को 25 और इमारतों का सर्वे किया गया। सभी इमारतों में तकनीकी खामी के साथ बुनियाद कमजोर मिली। पर्याप्त सरिया, सीमेंट व रोडी-बदरपुर का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पानी की निकासी के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। पानी बुनियाद में जा रहा है। इससे नींव खोखली हो रही है। किसी भी इमारत का नक्शा पास नहीं है। बिल्डरों ने मर्जी से निर्माण कराया है। भवनों के छज्जे पर छह मंजिला फ्लैटों की दीवार खड़ी कर दी गई है। इससे दबाव पड़ने पर छज्जा कभी भी धराशाही हो सकता है। छज्जा गिरा तो ऊपर तक बने सभी फ्लैट ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएंगे। प्राधिकरण के सर्किल प्रभारी डोरीलाल वर्मा ने बताया कि सर्वे का काम जारी है। टीम की रिपोर्ट के आधार पर मंगलवार को 25 और बिल्डरों को नोटिस जारी किए जाएंगे। इमारतों को भी सील करने की कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण लोगों का जीवन बचाने के लिए कालोनाइजर और बिल्डरों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा।
अवैध इमारतों की रजिस्ट्री में बड़े पैमाने पर हो रही स्टांप चोरी
निबंधन विभाग के मुताबिक विभाग की जांच में पता चला कि एक बिल्डर ने चार महीने पहले शाहबेरी में 272 वर्ग मीटर का खाली भूखंड खरीदा। जिसकी कीमत 36 लाख रुपये थी। बिल्डर ने भूंखड में पांच मंजिला इमारत खड़ी कर फ्लैट बनाकर तैयार कर दिए। जबकि रजिस्ट्री में खाली भूखंड दर्शाया गया है। बिल्डर ने धोखाधड़ी कर 9,64,800 रुपये का स्टाम्प शुल्क चोरी कर लिया। विभाग ने बिल्डर दिनेश कुमार के खिलाफ स्टाम्प चोरी के आरोप में जुर्माना लगाया है। इसके अलावा एक माफिया महावीर ने शाहबेरी में 1098 वर्ग मीटर के आवासीय भूखंड को कृषि जमीन बताकर रजिस्ट्री करवा ली। मौके पर जांच में आवासीय भूखंड मिला। माफिया ने सरकार को 1.76 लाख के स्टांप शुल्क का चूना लगाया है। बिल्डर ने 250 वर्ग मीटर खाली भूखंड की रजिस्ट्री करवाई। जबकि मौके पर जाकर देखा गया तो एक मंजिल मकान बना हुआ था। जबकि दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य चल रहा था।
रजिस्ट्री खाली जमीन की, खड़ी मिली पांच मंजिला इमारत
शाहबेरी में दो इमारतों के धराशायी हो जाने के बाद नई परतें खुलतीं जा रही हैं। बिल्डर व माफिया ने शाहबेरी में बिछाए अवैध इमारतों के जाल में लोगों को फंसाने के साथ सरकार को भी राजस्व का घाटा पहुंचाया। बिल्डरों ने शाहबेरी में भूखंड खरीदा, जिस पर कई मंजिला इमारत खड़ी करके फ्लैट बेच दिए। जबकि रजिस्ट्री खाली भूखंड की कराई गई। बिल्डरों ने लाखों रुपये के स्टाम्प चोरी कर विभाग को चूना लगा दिया। निबंधन विभाग ने तीन महीने में ऐसे तीन बिल्डर और माफिया पर स्टाम्प चोरी का जुर्माना लगाया हैं।
गाजियाबाद इमारत हादसः न्यायिक जांच में 14 अधिकारी व कर्मचारी दोषी
गाजियाबाद के आकाश नगर में इमारत गिरने के मामले में हुई न्यायिक जांच में जीडीए के प्रवर्तन जोन तीन के 14 अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जांच रिपोर्ट में लिखा है कि तीन बार ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी होने के बावजूद इस अवैध इमारत को सील नहीं किया गया। इससे निर्माण में इनकी मिलीभगत प्रतीत होती है। जांच रिपोर्ट के आधार पर जीडीए ने तत्काल तीन सुपरवाइजरों और एक वर्कमेट को निलंबित कर दिया है। अल्प अवधि तक इस जोन में तैनात रहे दो सुपरवाइजरों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। वहीं एक सेवानिवृत अधिशासी अभियंता, जोन प्रभारी सहायक अभियंता और छह अवर अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी गयी है।
डीएम रितु माहेश्वरी ने बताया कि अक्टूबर 2017 से अब तक इस जोन में तैनात रहे 14 अधिकारी और कर्मचारियों को एडीएम वित्त सुनील कुमार सिंह द्वारा की गई मजिस्ट्रेटी जांच में दोषी माना गया है। अधिशासी अभियंता वीके जैन 31 मार्च को सेवानिवृत हो चुके हैं। उन पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा गया है। इस प्रवर्तन जोन के प्रभारी सहायक अभियंता निशांत कुमार, अवर अभियंता टीएन सिंह, रमाकांत तिवारी, रामेश्वर शर्मा, कमलदीप, अरुण कुमार सिंह और आदर्श भटनागर के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति की गई है। इनकी नियुक्ति शासन स्तर से है। लिहाजा कार्रवाई का अधिकार भी शासन के पास है। इस अंतरात में लंबे वक्त तक जोन में तैनात रहे सुपरवाइजर गोविंदशरण दुबे, गजेंद्र सिंह, राजबीर सिंह और वर्कमेट मुकेश को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। सुपरवाइजर जतन स्वरूप शर्मा और अरूण कुमार सिंह कम वक्त के लिए जोन में तैनात रहे। इसलिए दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। एक सप्ताह में जवाब मांगा है। राकेश सिंह सुपरवाइजर 16 जुलाई को इस जोन में स्थानांतरित किए गए थे।
15 लाख में बेचा था फ्लैट
गाजियाबाद के आकाश नगर में जमींदोज हुई इमारत में एक फ्लैट 15 लाख रुपये में बेचा गया था। हादसे की जानकारी होने पर सोमवार को एक खरीदार सामने आया। उन्होंने बताया कि पिछले साल ही इसमें फ्लैट बुक कराया था। जिसकी कीमत 15 लाख रुपये तय हुई थी। करीब 7.50 लाख रुपये बिल्डर को दे चुके हैं। बिल्डर ने बताया था कि इसका नक्शा स्वीकृत है। इसकी गुणवत्ता अच्छी होगी।