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चाय बागान की विवादित जमीन कब्जे में लेगी सरकार

देहरादून। सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी की दून के चाय बागान की बेशकीमती जमीन को खुर्द-बुर्द होने से बचाने की मुहिम रंग ला रही है। जिला प्रशासन ने सीलिंग की विवादित 350 बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है। जिला प्रशासन ने सीलिंग की इस जमीन के खरीद-फरोख्त किये जाने को लेकर भूस्वामी कुमारी पदमा कुमारी के वारिसों को नोटिस जारी किये हैं कि सीलिंग की भूमि को क्यों न जबरन सरकार ले लें। इस संबंध में शासन ने 25 जुलाई को एसडीएम कोर्ट में तलब किया है। जिला प्रशासन के इस निर्णय के बाद बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय का मामला भी फंस गया है। प्रदेश बीजेपी की यहां एक आधुनिक सुविधाओं से लैस ऑफिस खोलने की योजना है। अब देखना होगा कि क्या प्रदेश बीजेपी भी इस मामले को लेकर कोर्ट में अपना पक्ष रखती है।
सोशल एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने देहरादून के रिंग रोड स्थित 350 बीघा जमीन के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस जमीन की खरीद-फरोेख्त पर रोक लगा दी और इस संबंध में जिला प्रशासन से जवाब तलब किया है। जिला प्रशासन की एक टीम ने अब जमीन की जांच शुरू कर दी है। इस संबंध में जांच टीम ने पाया कि चाय बागान की मालकिन राजकुमारी पदमा के वारिसों ने सीलिंग की जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है। इसके बाद एसडीएम कोर्ट ने पदमा के वारिसों कुमुद वैद और कमल प्रसाद को 25 जुलाई को कोर्ट में तलब किया है।
अपर कलक्टर डा. शिव कुमार बरनवाल के हस्ताक्षर वाले नोटिस में कहा गया है कि रायपुर, चकरपुर, लाडपुर और नत्थनपुर की जमीन को उत्तर प्रदेश जोत सीमा रोपण अधिनियम 1960 की धारा 6 (2) का उल्लंघन कर बिना उत्तराखंड शासन की अनुमति के सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त की है। जो कि विक्रय के दिन से शून्य है। चाय बागान की इस भूमि को 10 अक्टूबर 1975 से अतिरिक्त भूमि घोषित समझी गयी। इसलिए यह भूमि सभी भार-बंधनों से मुक्त होकर राज्य सरकार में निहित हो चुकी है। शासन ने कुमुद और कमल प्रसाद से जवाब तलब किया है कि क्यों न विवादित भूमि को अधिपत्य धारा 6 (3) के तहत बलपूर्वक राज्य सरकार द्वारा प्राप्त किया जाए। गौरतलब है कि एडवोकेट विकेश नेगी ने इस मामले को उठाया। उन्होंने इस संबंध में न सिर्फ दस्तावेज जुटाए बल्कि नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अब जिला प्रशासन हरकत में आया है। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार सीलिंग की इस भूमि पर सरकार अपने कार्यालय बना सकती है और उससे किराये के भवनों से निजात मिल सकती है। किराये पर चल रहे सरकारी कार्योलयों पर सरकार को हर साल भारी-भरकम राशि अदा करनी पड़ती है।

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