वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत किए जाने के संबंध में शासनादेश जारी
देहरादून। सचिव वित्त दिलीप जावलकर द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय व्ययक की वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत किए जाने के संबंध में शासन के उच्च अधिकारियों के साथ सभी विभागाध्यक्ष एवं वित्त नियंत्रकों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं उन्होंने कहा है कि वित्तीय विकेंद्रीकरण पर विशेष ध्यान देते हुए विधानसभा द्वारा पारण एवं राज्यपाल की स्वीकृति के उपरान्त “उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम, 2023 प्रख्यापित किया जा चुका है जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक हेतु कुल रू. 77,407.08 करोड़ की मांगे अनुदानवार स्वीकृत हुई हैं। उक्त धनराशि के सदुपयोग हेतु दिशानिर्देश संबंधी शासनादेश भी वित्त अनुभाग-1 के स्तर से 31 मार्च को निर्गत कर दिया गया है।
जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि प्रावधानित धनराशि के समय पर सदुपयोग हेतु प्रक्रिया के सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारीकरण पर बल दिया गया है। वित्त विभाग द्वारा अधिकांश धनराशि का प्रशासकीय विभागों एवं विभागाध्यक्षों के स्तर पर विकेन्द्रीकरण कर दिया गया है एवं तदनुसार उनके स्तर से प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत की जा सकेंगी। जिला योजना, केन्द्रपोषित योजनाओं तथा वाह्य पोषित योजनाओं में समस्त स्वीकृतियां प्रशासकीय विभागों द्वारा ही निर्गत की जानी हैं। रु. 20 लाख से अधिक लागत के नए निर्माण कार्यों की ही स्वीकृतियां वित्त विभाग की पूर्व सहमति से जारी की जाएंगी एवं तदोपरान्त चालू निर्माण कार्यों में धनराशि प्रशासकीय विभागों के स्तर से अवमुक्त कर दी जाएगी।
रू. 20 लाख तक की सीमा के लघु निर्माण कार्यों की स्वीकृति हेतु संबंधित विभागाध्यक्षों को अधिकृत किया गया है। लघु कार्यों में कुल बजट प्रावधान का कम से कम 10 प्रतिशत धनराशि दिव्यांगजनों के कल्याण व सुगम्यता सुनिश्चित किये जाने से सम्बन्धित कार्यों में व्यय किये जायेंगे। रु. 50.00 लाख से कम लागत की परियोजना हेतु धनराशि एक किश्व में रु. 50.00 लाख से रू. 2.00 करोड़ की परियोजना हेतु 60. व 40 प्रतिशत की दो किस्तों में तथा रू. 2.00 करोड़ की लागत से अधिक धनराशि की परियोजनाओं हेतु 40-40-20 प्रतिशत की तीन किश्तों में धनराशि अवमुक्त की जाएगी। एस.ए.एस के अन्तर्गत निर्माण कार्यो की गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने हेतु नियोजन विभाग द्वारा नामित संस्थाओं से तृतीय पक्ष गुणवत्ता नियंत्रण जांच कराई जाएगी एवं जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुपालनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
नाबार्ड द्वारा अनुमोदित कार्यों हेतु अवमुक्त मोबिलाइजेशन अग्रिम धनराशि वित्त विभाग की सहमति से निर्गत की जाएगी। तदोपरान्त प्रशासकीय विभाग कार्य की प्रगति के आधार पर बजट प्रावधान की सीमा के अन्तर्गत धनराशि अपने स्तर से निर्गत करेंगे एवं व्यय की गई धनराशि के बीजक ससमय नाबार्ड को प्रतिपूर्ति हेतु उपलध कराएंगे। किन्तु धनराशि अधिकतम तीन चरणों में स्वीकृत कर कार को समयबद्ध अवधि में पूर्ण कराया जाना होगा। विभागों एवं कोषागारों द्वारा आहरण वितरण की प्रक्रिया को ओ अधिक पेपरलैस बनाए जाने का प्रयास भी किया गया है।