NationalUttarakhandआध्यात्मिक

ग्रहों में श्रेष्ठ शनि देव, शनि जंयती पर डा0 रविनंदन मिश्र की खास रिपोर्ट

हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 2021) मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 10 जून 2021 को मनाई जाएगी. साथ ही इसी दिन वट सावित्री व्रत और साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. जो लोग शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती का सामना कर रहे हैं उनके लिए शनि जंयती का खास महत्व है. शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र है लेकिन पिता और पुत्र में हमेशा बैर भाव ही बना रहता है. सभी ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं, ये किसी एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं. शनि के किसी एक राशि में गोचर करने पर तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और दो पर ढैय्या चलती है. शनि जयंती के इस खास मौके पर हम आपको शनिदेव से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं-
*9 ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ शनिदेव* – शनिदेव को भगवान शिव से सभी 9 ग्रहों में श्रेष्ठ होने का आशीर्वाद प्राप्त है. शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है. वह व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं l
*शनिदेव की चाल धीमी क्यों है* – शनिदेव की चाल धीमी के पीछे एक कारण है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, पिप्लाद मुनि अपने पिता की मृत्यु का कारण शनिदेव को मानते थे. पिप्पलाद मुनि ने शनि पर ब्रह्रादण्ड से प्रहार किया. शनि यह प्रहार सहन करने में असमर्थ थे जिस कारण से शनि तीनों लोकों में दौड़ने लगे l इसके बाद ब्रह्रादण्ड ने उन्हें लंगड़ा कर दियाl
*बच्चों पर क्यों नहीं पड़ती शनिदेव की बुरी दृष्टि*- शनि की बुरी दृष्टि कभी भी 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर नहीं पड़ती है. इसके पीछे का कारण यह है कि पिप्पलाद मुनि ने युद्ध में शनि को परास्त कर दिया और इस शर्त पर छोड़ा कि वे 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देंगे l
*ऐसे काम करने से बचें*
शनि जयंती के दिन सरसों का तेल, लकड़ी, उड़द की दाल नहीं खरीदना चाहिए और न ही बाल या नाखून काटने या कटवाने चाहिए। इसके साथ ही जूते-चप्पल खरीदना और तुलसी, पीपल या बेलपत्र का तोड़ना वर्जित बताया गया है। इन चीजों को आप अन्य दिन खरीद सकते हैं। इन चीजों को खरीदने से जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
*शनिदेव से इस तरह मिलता है आशीर्वाद*
शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सूर्यग्रहण के बाद शनिमंदिर जाकर दर्शन करें और सरसों के तेल का अभिषेक करें। इसके साथ ही शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए आप हनुमानजी की पूजा करें और सुंदरकांड का पाठ करें। शनि जयंती के दिन आप शनि से संबंधित चीजों का दान कर सकते हैं। ऐसा करने शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
*ऐसे न करें शनिदेव की पूजा*
शनिदेव की पूजा करते समय हमेशा ध्यान में रखें कि उनकी आंखों में देखकर पूजा न करें, ऐसा करने से उनकी वक्री दृष्टि का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जब भी शनिदेव पूजा करें तो अपनी नजर हमेशा उनके पैरों में रखें, जिससे उनका आशीर्वाद और कृपा प्राप्त की जा सके।
*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय*
*4.चाणक्य राजनीति मंच ,वाराणसी*
*5.शाकद्वीपीय परिवार ,सासाराम*
*6. शाकद्वीपीय  ब्राह्मण समाज,जोधपुर*
*7.अखंड शाकद्वीपीय एवं*
*8. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष – वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button