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लाॅकडाउन में विदेशी टूरिस्ट योग, कीर्तन में गुजार रहे समय
ऋषिकेश। लॉक डाउन को एक माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। ऐसे में देश में आम लोग घरो में कुछ न कुछ कर रहे हैं पर तीर्थनगरी ऋषिकेश में मौजूद विदेशी पर्यटक लॉक डाउन पीरियड में अपने देश वापस नहीं जा सकते हैं। ऐसे में ये विदेशी लॉक डाउन में अपना समय मेडिटेशन भजन कीर्तन, भारतीय खाना बनाने से लेकर योगा करके अपना समय काट रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ विदेशी आयुर्वेद क्या होता है, उसके बारे में भी जानकरी ले रहे है।
दरअसल कई विदेशी पर्यटक अभी भी ऋषिकेश में फंसे हुए हैं। हालांकि 100 से ज्यादा विदेशियों को स्पेशल पास बनवा कर उनके देश वापस भेजा गया है, लेकिन इनमें से कुछ विदेशी ऐसे भी है जो अभी तक अपने वतन नहीं गए है। इसकी वजह है कि इन विदेशियों की हवाई जहाज की टिकट जून के महीने में है और कुछ योग, मेडिटेशन और आयुर्वेद की जानकारी लेने इंडिया आये हुए हैं तो कुछ विदेशी भारत को कोरोना के चलते सेफ कंट्री मानते हुए फिलहाल यही भारत में रहना चाहते है। नीदरलैंड के सैम कहते है कि वे ऋषिकेश में 04 मार्च से हैं और लॉक डाउन के दौरान यहाँ फंस गए थे, लेकिन अब वो ऋषिकेश में ही रहना चाहते हैं। उन्होंने यहां रूकने की वजह बताते हुए कहा कि ऋषिकेश धार्मिक और सुन्दर जगह है। सैम लॉक डाउन के समय अपना टाइम योग, मेडिटेशन और गाने गाकर गुजार रहे हैं। सैम कहते हैं कि दूसरी कंट्री की तुलना भारत ज्यादा सुरक्षित है और यहाँ के लोगों और पुलिस का व्यवहार अच्छा है। ऐसे ही पुर्तगाल की दलियाना कहती है कि वो भारत में आयुर्वेद के बारे में जानने के लिए फरवरी में पूना आईं और फिर मार्च में ऋषिकेश आई। लेकिन लॉक डाउन के कारण वो अब यही हैं और अब उनकी अपने देश पुर्तगाल में जाने की फ्लाइट की टिकट जून में है। इसलिए अब वो लॉक डाउन में आर्युवेद के बार में सीख रही हैं। इसके साथ ही योग सिखाने और खाना बनाने में भी टाइम स्पेंड कर कर रही हैं। यह विदेशी मेहमान सिर्फ लॉक डाउन के दौरान अपना टाइम पास सिर्फ मेडिटेशन, भजन, कीर्तन और योग करने में नहीं कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो जरूरतमंदों को खाना भी दे रहे हैं। एमपी के रतलाम से चंदना चुरु भी यहां लॉक डाउन में फंसी हैं और वह विदेशी मेहमानों के साथ मिलकर गरीब और जरुरत मंदों को खाना खिलाने के काम में जुटी हुई हैं। अमरीका की तेजस्वी भी कहती हैं कि सभी विदेशी लोगों को योग और मेडिटेशन सिखाया जा रहा है और इसके साथ ही विदेशी पर्यटक गरीबो के लिए फूड बनाने का भी काम कर रहे हैं।