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गर्भावस्था के दौरान पोषण लेते समय खाद्य सुरक्षा नियम अपनाएंः डा. सुजाता

देहरादून। संजय आॅर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा आयोजित वेविनार में  राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डाॅ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने गर्भावस्था में पोषक एवं संतुलित आहारें के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी  इस जन-जागरूकता व्याख्यान में  उत्तरप्रदेश ,उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश व पंजाब से 175 से अधिक मेडिकल, नर्सिंग छात्रों व किशोरियों ने भाग लिया। गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस दौरान आपको बहुत सारे दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है। गर्भावस्था वो समय है जब आप के अंदर बहुत सारे शारीरिक बदलाव होने लगते हैं और इस दौरान आपको बहुत सारी चीजों का सामना करना पड़ता है जैसे हार्मोनल बदलाव, मूड स्विंग, भूख और मेटाबोलिज्म आदि ये सभी आपको प्रभावित करते हैं। ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मतली महसूस होती है, जो उनके आहार और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
डॉ. सुजाता ने बताया कि, गर्भावस्था में गर्भवती महिला को यदि पौष्टिक व संतुलित आहार नहीं मिलता तो उसका गर्भवस्थ शिशु भी पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पाएगा। सामान्य स्त्री को प्राय 1900 कैलोरी की आवश्यकता होती है, जबकि गर्भावस्था में 3200 कैलोरी की आवश्यकता होती है।आहार पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। गर्भवती का आहार ऐसा होना चाहिए जिसमें पौष्टिकता के सभी तत्व मौजूद हो। गर्भवती के आहार में कच्चे फल व सब्जियां, नट्स व सीड्स की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। संजय आॅर्थेापीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, डाॅ0 सुजाता संजय, ने बताया, कोरोना वायरस इन दिनों वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुका है। यह बड़ी चुनौती बन चुका है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सजगता के साथ अपनी देखभाल करनी चाहिए। पौष्टिक आहार लेने से उनसे कोरोना वायरस दूर रहेगा। “गर्भवती महिलाओं को उनके शरीर में होने वाले परिवर्तन से कुछ संक्रमण के खतरे बढ़ सकते हैं। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि गर्भवती में आम जनता की तुलना में कोविड-19 से बीमार होने की संभावना ज्यादा है।
डॉ. सुजाता ने बताया कि, गर्भवस्था के समय महिलाओं को अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, विटामिन, हाई फाइबर व मिनरल्स आदि को शामिल कर संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, अखरोट, बादाम, सुपर फूड जैसे हल्दी, अदरख, लहसुन आदि का सेवन करना चाहिए। फलों व सब्जियों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छे से धो लें। गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि वो अपनी डाइट को अच्छी करें। इसके लिए वो अपनी डाइट में हरी सब्जियां, दूध, फल और दाल जैसी चीजें शामिल कर सकती हैं। अच्छे से अच्छा खाएं और स्वस्थ रहें।उन्होंने बताया कि खाने में केवल आयोडीन युक्त नमक ही प्रयोग करें ताकि गर्भवती और उनके बच्चे का समुचित मानसिक और शारीरिक विकास हो सके। आयोडीन की कमी से मानसिक विकलांगता हो सकती है। गर्भावस्था में अधिक देर तक खाली पेट न रहे। आवश्यक मात्रा में दिन में चार-पांच बार हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन लें। गर्भवती महिला व्यक्तिगत सफाई पर पूरा ध्यान दें। अपने नाखून समय पर काटें ताकि इनमें गंदगी न जमा होने पाए। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 20-25 मिनट योग या साधारण इनडोर स्ट्रेचिंग व्यायाम या सरल योग व्यायाम करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं हर दिन कम से कम 7 से 8 गिलास पानी जरूर पिएं। ताकि आपका शरीर हाइड्रेट रहे। बेहतर है कि अगर गर्भवती महिलाएं पानी को उबालकर पिएं।
डॉ. सुजाता ने बताया, पहली तिमाही में पौष्टिक नाश्ते के साथ तीन बार भोजन करना चाहिए। साथ ही पांच मि0ग्रा0 की फोलिक एसिड की एक गोली रोजाना लेनी चाहिए। आयरन, कैल्शियम या अन्य किसी भी दवाई का सेवन पहली तिमाही में नहीं करना है। दूसरी और तीसरी तिमाही में दो पौष्टिक नाश्ते के साथ तीन बार भोजन करना चाहिए। साथ ही आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) की रोजाना एक गोली का सेवन करना चाहिए जिससे प्रसव के बाद कुछ माह तक जारी करना चाहिए। दूसरी व तीसरी तिमाही में भोजन के बाद दो कैल्शियम की गोली का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। आयरन व कैल्शियम का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए। अपने डेली रूटीन का खास ध्यान रखें। समय पर सोएं और समय पर उठें। गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस महसूस होना एक आम समस्या है। सुबह उठने के बाद एक गिलास गाय का दूध पीना सुनिश्चित करें, क्योंकि यह मॉर्निंग सिकनेस से राहत देने में मदद करता है। आप एक गिलास नारियल का दूध या नींबू पानी भी पी सकते हैं क्योंकि यह कब्ज और सीने की जलन को कम करने में मदद करता है।

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