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फांसी को टालने के लिए निर्भया के चारों गुनहगार एक-एक कर कानून विकल्प अपना रहे, राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका

नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में एक अक्षय ठाकुर की दया याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दी है। फांसी से बचने के लिए अक्षय  ने एक फरवरी को राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी। इस याचिका में फांसी देने की सजा को माफ करने की अपील की थी।इससे पहले दोषी मुकेश की भी दया याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खारिज कर चुके हैं।  बता दें कि चारों दोषियों में सिर्फ पवन गुप्ता ही बचा है जो अभी तक राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल नहीं किया है। पवन ने अभी तक क्यूरेटिव पेटिशन भी दाखिल नहीं की है। माना जा रहा है कि अक्षय राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में दे सकता है।

सात दिन में अपनाने होंगे सभी विकल्प बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि जिन दोषियों के पास सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं उनको जल्द से जल्द फांसी दी जाए। केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि चारों दोषियों में से मुकेश के पास सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। इसलिए उसे फांसी दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि चारों दोषियों के पास सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद ही सभी को फांसी दी जाएगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी दोषी जिनके पास कानून विकल्प शेष हैं वे एक सप्ताह के अंदर इसे पूरा कर लें। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बाकी के बचे दोषियों को हर हाल में अपने शेष कानूनी विकल्प अपनाने होंगे।

एक साथ ही दी जा सकती है फांसी निर्भया के चारों गुनहगारों को निजली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक फांसी की सजा सुना चुकी है। चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी देने की सजा पर रोक लगाई है। कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित है तो उस दोष में शामिल अन्य लोगों को भी फांसी नहीं दी जा सकती। फांसी को टालने के लिए चारों दोषी एक-एक कर कानून विकल्प अपना रहे हैं।

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