एक दिन में गरीब का दो दो बार यह कैसा चालान
देहरादून। करोनाकाल में सरकार व प्रशासन काफी मुस्तैदी से काम कर रहा है लेकिन इस समय अगर राजधानी देहरादून की बात करें तो एक ओर प्रशासन द्वारा तोड़ फोड़ की कार्यवाही चल रही है तो वहीं दूसरी ओर दिवाली त्यौहार के चलते व्यवस्थाओं की तैयारियां भी करनी है। लेकिन ऐसे में उन छोटे व्यापारियों का गरीब ठेली, रेहड़ी वालों का क्या कसूर जिन्हें दो वक्त की रोटी कमाने के लिये जद्दो जहद करनी पड़ रही है। पुलिस चालान को लेकर कल एक ऐसा किस्सा हमारे सामने आया जिसको देखकर हमारे संवाददाता भी चकरा गये, हुआ यूं कि हनुमान चैक के पास सोनू नाम का युवक सब्जी इत्यादि बेचने का कार्य करता है उसने हमारे संवाददाता को बताया कि कल सुबह 8ः35 पर लक्खीबाग से पुलिस वाले आये और मास्क न पहने हुए के कारण 200/-रूपये का चालान करके चले गये लेकिन इसके बाद दोपहर 12ः15 से खुड़बुडा से पुलिस वाले आये और उसका 200/-रूपयें का चालान करके चले गये जबकि इस बार उसने मास्क इत्यादि सब नियमों का पालन किया था। सोनू का कहना है कि वह गरीब आदमी है सब्जी आदि बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है यदि इसी प्रकार दिन में दो दो बार चालान होता रहा तो वह किस प्रकार अपना व अपने परिवार का खर्च चला पायेगा। जब हमारे संवाददाता ने पहले और दूसरे चालान का मिलान किया तो दूसरे चालान चिट में कई खामियां नजर आयी जैसे-चालानचिट में चालान का कारण नहीं लिखा है, चालानकर्ता/शमनकर्ता का नाम नहीं लिखा है, चालानचिट को पूरा व ठीक से नहीं भरा गया है। यहां पर सबसे बड़ी बात निकलकर यह सामने आती है कि आखिर चालानकर्ता को इतनी जल्दी कहां की थी जो कि उन्होंने चालानचिट को ठीक से भरने की जरूरत तक नहीं समझी, दूसरे एक गरीब आदमी दिन में दो दो बार चालान का 400/-रूपया कहां से लायेगा, यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब बड़ी बड़ी गाड़ियों वालो को चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है तो क्या एक गरीब ठेली वाले को नहीं, क्या उसका दो दो बार चालान किया जाना जरूरी था।