NationalUttarakhandजन संवाद

धारा 124 A क्यों है ज़रूरी

माननीय उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी से देश मे 124 A पर चर्चा छिड़ गई है। समाचार चैनलो को एक नया मुद्दा मिल गया है। मुझे कानून का ज्ञान नही लेकिन जरा सोचिए इतिहास में क्या कोई बिना राज द्रोह और देश द्रोह के चला है? पतयेक राज्य में इस अपराध के लिये अधिकतम दंड का पराविधान किया जाता है। कुछ देशों में तो सीधे म्रत्यु दंड दे दिया जाता है। सभी सरकारे अपनी अपनी सुविधा के अनुरूप ऐसा कानून बनाती है। अब प्रश्न उठता है माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी वैधता पर विचार करने का। मानलिया हमारे देश को मानव अधिकारों की कुछ ज्यादा चिंता है तो क्या
1 आतंकवादियों, देश पर हमला करने वालो, देश की अखंडता भंग करने वालो और देश के विरुद्ध षड्यंत्रकारियों को देश मे खुला छोड़ दिया जाना चाहिए।
2 क्या देश से बाहर देश के विरुद्ध बयान देने, बाहरी मीडिया में देश के विरुद्ध लिखने, सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाने और दुश्मन के साथ संधि करने वाले देश द्रोहियों को छूट दे देनी चाहिए।
3 सार्बजनिक संम्पतियो को जलाकर, जनता को भड़काकर सामान्य जनजीवन को अवरुद्ध कर देश मे गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा करने वाले तत्वों को खुली छूट दे देनी चाहिए।
4 बड़े बडे माफियो, आतंकियों को जसिल में सुविधाएं और उच्च स्तरीय सुरक्षा देने में जनता का करोड़ो रूपये लंबी न्याय प्रकिर्य्या कर चलते खर्च किया जाना चाहिए।
मैं जानता हूँ कि आप मे से अधिकतर का जसेअब नही में होगा। अब क्या होना चाहिए? जब विचार की बात निकली है तो विचार करने में कोई बुराई नही है बशर्ते समस्या की जड़ से विचार किया जाए।
1 यह तो निश्चित है कि कोई भी देश बिना राज द्रोह और देश द्रोह कानून के नही चल सकता।
2 देरी से न्याय मिलने से अपराधियो को छूट जाने , भाग जाने अथवा अन्य आपराधिक षड्यंत्र करने की संभावना बढ़ जाती है तस्थस अपराधियो पर अनावश्यक खर्च भी बढ़ता जाता है। ऐसे में अगर त्वरित न्याय हो तो सारी दमस्या हाल हो सकती है। अपराधी को सजा और निर्दोष को न्याय शीघ्र मिल सकता है।
3 सर्वोच्च न्यायालय को अनावश्यक प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप के स्थसन पर एक त्वरित न्याय प्रकिर्य्या निश्चित करते हुए देश मे न्याय चार्टर की घोषित करनी चाहिए
यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकतम 90 दिनों के अंदर प्रत्येक अदालत द्वारा वाद निर्णय कर देने के साथ सर्वोच्च नयायालय तक एक वर्ष के अंदर अन्तिम निर्णय हो जाना चाहिए।
4 प्रत्येक जिले में एक सेशन जज की अध्यक्षता में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट केस गठन होना चाहिए।
5 सुनवाई को आगे तारीख देकर देरी करने की प्रकिर्य्या पर रोक लगनी चाहिए।
अब सवाल उठेगा कि वादों की संख्या के मुकाबले जजो की संख्या कसम है तो जब उच्चतम न्यायालय सरकार को दुनियस भर के निर्देश दे सकता है तो जसजो की नियुक्ति के निर्देश भी जारी कर सकतस है। यह कोई असंभव कार्य नही है।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकलता है कि यह देश हम सबका है इसकी सुरक्षा औऱ शांतिपूर्ण संचालन के लिये कठोर दण्ड संहिता की आवश्यकता है। देश द्रोही की सजा केवल मौत होती है। बिना डर अपराध नही रुकते अतः हमें दंड संहिता को और कठोर बनाते हुए त्वरित न्याय पर ध्यान देना चाहिए उसके लिये माननीय उच्च न्यायालय को शीघ्र विचार करना चाहिए और सरकार को भी उसी अनुरूप तंत्र विकसित करना चाहिए।
लेखकः- एल0एम0 शर्मा

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button