Uttarakhand
देश सबका या किसी एक का
कई दिनों से बल्कि यूं कहिए कि समय समय पर बहुत बार देश मे किसी मामले को लेकर अनावश्यक राजनीतिक अहंकार की बहस छिड़ जाती है। प्रदेश सरकार किसी भी विषय को लेकर अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेती है यहां तक कि संघीय केंद्र सरकार के निर्देशों का भी पालन नही करती। ऐसी सरकार और उससे जुड़े लोग अपने राज धर्म और राष्ट्र धर्म का पालन न कर व्यक्तिगत कुंठा के शिकार हो जाते है। अभी ताज़ा मामला फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रणौत का ही ले लीजिए। ऐसा बयान किसी ने पहली बार नही दिया है। बड़े बड़े कलाकारों यहाँ तक कि भूतपूर्व उप राष्ट्रपति तक ने देश मे अपने अथवा संबंधित व्यक्तियों को देश में असुरक्षित होने के बयान दिए है तो क्या उन्हें देश निकाला दे दिया गया है ऊनके देश मे किसी स्थान पर न जाने के निर्देश दिए गए? नही बल्कि ऐसे प्रबंध किये गए कि उन्हें इस प्रकार का विचार ही न आये। फिर कंगना रणौत अगर कहती है कि उन्हें मुम्बई में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का एहसास होता है तो इसमें ऐसा क्या है जिसपर सत्तारूढ़ पार्टी के जिम्मेदार व्यक्ति यहाँ तक की ग्रह मंत्री भी अमर्यादित बयान देने पर विवश हो जाते है। यदि कंगना रणौत ने बयान दिया है तो इसके पीछे के कारण ढूंढने होंगे।सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने के स्थान पर भद्दी प्रतिकिर्या देना समाज के प्रति घोर अपराध है। यह उनकी देश के संविधान की कसम की अवहेलना है। देश का कोई भी नागरिक यदि अपने को असुरक्षित समझता है तो उसे सुरक्षा प्रदान करना उसका दायित्व बनता है। अगर रक्षक ही भक्षक होने लगेगे तो देश का कोई भी नागरिक सुरक्षित नही रह जाएगा। जरा सोचिए देश के टुकड़े करने,देश का अपमान करना बोलने की आज़ादी हो सकता है लेकिन इंसाफ के हक में आवाज़ उठाने पर, स्थिति को उजागर करने पर क्या अपराध हो जाएगा?
कंगना का क्या दोष है कि बन रहे भयावह माहौल और उसी के कारण किसी की हत्या या आत्महत्या होने पर इंसाफ के लिये आवाज़ उठाई। अपनी अकर्मण्यता का संज्ञान लेने के स्थान पर धमकाना और चुप कराने का प्रयास किस स्तर से नयायोचित कहा जा सकता है। और फिर झूठ क्या है? कौन नही जानता कि फिल्मी दुनिया में मुम्बई में इस्लामिक गैंग चलता है। फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का पैसा लगना एक कटु सत्य है और वह अंडरवर्ल्ड किन लोगों के माध्यम से चलता है यह भी किसी से छिपा नही। आप पिछले 50 वर्ष की फिल्मों का संज्ञान ले सरकार की नाक के नीचे पुजारियों को लुटेरा, हिन्दू राजाओं को अय्यास, सिखों का उपहास और मुस्लिम शासकों का महिमा मंडन करने के अलावा क्या हुआ है। महाराष्ट्र में शिवाजी और राणाप्रताप का सर्वोच्च स्थान होने पर भी उनका महिमा मंडन तो दूर शायद किसी की एक फ़िल्म भी बनाने की हिम्मत नही हुई। कभी गैर मराठा को प्रदेश से बाहर भगाया जाता है तो कभी साधुओं की हत्या हो जाती है। क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र में सबको एक समान व्यवहार प्राप्त है। देश के एक बड़े सम्प्रदाय का बड़ा हिस्सा अगर देश मे असुरक्षित रहने का बयान देता है तो क्या उसे देश छोड़कर जाने के लिए कहा जायेगा? क्या ऐसा संभव है? कदापि नही फिर कंगना रणौत का कोई दोष नही। उसने अपने मन के भाव जो सभी को एहसास है कि सच है, हिम्मत के साथ उजागर किये है। सम्मान मिलना चाहिए ऐसी देश की वीर नारी को जिसने अन्याय के विरुद्ध हिम्मत के साथ अपनी आवाज़ बुलंद की और हमे उनसे सीख लेनी चाहिये इसी प्रकार अपनी आवाज़ उठाने के लिये।
देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि फिल्मी दुनिया हो, महाराष्ट्र ,बंगाल केरल अथवा देश का कोई भी भाग हो, इस प्रकार का साम्प्रदायिकरण न होने दे। यह देश हम सबका है किसी एक का नही। यह देश सर्वोपरि है यहां अब किसी आतातायी के लिये कोई स्थान नही। राष्ट्र का संविधान सबको बराबर सम्मान देता है उस संविधान की रक्षा करने के लिये सभी अपनी आवाज़ बुलंद करें। हमारी पहचान कोई जाति, धर्म या प्रदेश का होना नही, भारतीयता हमारी पहचान है।
जय भारत
लेखकः- ललित मोहन शर्मा
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