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देश में सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण वाले मरीज का कोरोना टेस्ट किया जाएगा

नई दिल्ली। देश में सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार जैसे कोरोना के लक्षण वाले मरीज का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थानीय स्तर पर ऐसे मरीजों के कोरोना टेस्ट में मदद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि हमारी कोशिश किसी भी कोरोना पोजेटिव व्यक्ति की जल्दी-से-जल्दी पहचान करना है ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। वहीं आइसीएमआर के डाक्टर रमन गंगाखेड़कर ने 70 लाख जांच किट के किसी भी समय पहुंचने की जानकारी देते हुए कहा कि ‘यदि कोई आदमी चाहता है कि उसका टेस्ट होना चाहिए तो वह कभी भी अपना टेस्ट करवा सकता है।’

आंगनवाड़ी, आशा कार्यकर्ताओं के जिम्मे होगी लोगों को टेस्ट सेंटर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लव अग्रवाल के अनुसार देश में सभी आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारियों को विभिन्न माध्यमों से ट्रेनिंग दी गई है। जिसमें उन्हें बताया गया है कि यदि कोरोना के लक्षण वाला कोई मरीज उनकी नजर में आता है, तो किस तरह से अपने ऊपर के अधिकारी को इसकी सूचना देनी है और नजदीकी कोरोना अस्पताल तक उसे कैसे पहुंचाना है। उन्हें यह भी बताया गया है कि ऐसे मरीज के संपर्क के दौरान किस तरह अपना बचाव करना है।

सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार से पीड़ित सभी मरीजों के लिए कोरोना टेस्ट इसके पहले आइसीएमआर ने सिर्फ उन मरीजों के सैंपल के रूप में कोरोना टेस्ट किया था, जो सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार से गंभीर रूप से पीड़ित होकर आइसीयू में भर्ती हैं। दो अप्रैल तक ऐसे मरीजों के किये गए जांच में 100 में लगभग दो मरीज कोरोना से ग्रसित मिले थे। लेकिन पूरे देश में शहरी और ग्रामीण सभी इलाकों में सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार से पीड़ित सभी मरीजों के लिए कोरोना के टेस्ट का रास्ता खोलने से साफ है कि सरकार अब मास टेस्टिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी है।

जांच के लिए किट्स की कोई कमी नहीं- गंगाखेड़कर  डॉक्टर गंगाखेड़कर ने सोमवार को बताया था कि देश में छह हफ्ते के लिए टेस्टिंग किट बचा है, लेकिन मंगलवार को उन्होंने कहा कि ‘आज नये किट्स आ गये हैं। अब लंबे समय तक जांच के लिए हमारे पास किट्स की कोई कमी नहीं है।’ इसके अलावा 33 लाख आरटीपीसीआर के और 37 लाख रैपिड टेस्ट के किट किसी भी समय आ सकता है। उन्होंने कहा कि सोमवार को भारत में 21635 टेस्ट किये गए थे जिसमें तकरीबन 1200 संक्रमण के केस आए। इसके अलावा आइसीएमआर ने रैपिड, आरएनए और आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए अलग-अलग डेढ़ करोड़ से अधिक किट का आर्डर कर दिया है, जो एक से 31 मई के बीच आएंगे।

देश में हर किसी को कोरोना का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में कोरोना के टेस्ट कम होने के बारे में पूछे जाने डॉक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि इतने व्यापक गाइडलाइंस के बावजूद यदि हमारे पास टेस्ट कराने वालों की संख्या है तो उसका मतलब यह भी है कि कोरोना के लक्षण वाले लोग हमें मिल नहीं रहे हैं और उनकी संख्या ही कम है। वैसे लव अग्रवाल ने साफ कर दिया कि देश में हर किसी को कोरोना का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है और तय गाइडलाइंस के हिसाब से ही इसका उपयोग होना चाहिए। उनके अनुसार मुख्य बात यह है कि टेस्टिंग उसकी होनी चाहिए, जिसको टेस्टिंग की जरूरत है।

देश में टेस्ट लैब की संख्या बढ़ाने का प्रयास टेस्टिंग किट के साथ ही सरकार 130 करोड़ की आबादी वाले देश में टेस्ट लैब की संख्या बढ़ाने का भी भरसक प्रयास कर रही है, ताकि आम लोगों को उसके घर के नजदीक ही टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। फिलहाल देश में 166 सरकारी और 70 निजी लैब में कोरोना के टेस्ट की सुविधा है। जिनमें हर दिन लाखों लोगों का टेस्ट करने की क्षमता है। अब मुख्य़ वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन ने देश में मौजूद सभी लेबोरेटरी को कोरोना के टेस्ट के लिए आगे आने का आह्वान किया है। इसके लिए उन्होंने एक विस्तृत गाइडलाइंस जारी कर लैब को अपना आंकलन खुद करने को कहा कि वे कोरोना का टेस्ट करने के लायक है या नहीं। इसके लिए तैयार होने वाले लैब को उन्होंने सूचित करने को कहा है।

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