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देश में भीड़भाड़ समेत अहम ठिकानों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों पर हमले की साजिश नाकाम, इंजीनियर से लेकर मौलवी तक बना रहे थे योजना

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने आइएसआइएस से प्रेरित एक आतंकी माड्यूल का पर्दाफाश किया है। तीन-चार महीने पहले बना यह माड्यूल ने देश में भीड़भाड़ समेत अहम ठिकानों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों पर हमले की तैयारी में था और भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक जुटा चुका था। यह माड्यूल ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ के नाम से काम कर रहा था। एनआइए ने माड्यूल से जुड़े दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 17 ठिकानों पर छापा मारते हुए 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि छह अन्य आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और उनमें से कुछ को गिरफ्तार किया जा सकता है।

बड़े पैमाने पर तबाही की तैयारी  एनआइए के संयुक्त निदेशक आलोक मित्तल के अनुसार यह माड्यूल फिदाइन और रिमोट कंट्रोल से विस्फोट करने के लिए पूरी तरह तैयार था। जो विस्फोटक और साजो-सामान इनके पास से बरामद हुए हैं, उससे साफ है कि इनकी बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की योजना थी। छापे में इनके पास से 25 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट, अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर और सुगर मैटेरियल पेस्ट के साथ-साथ 112 अलार्म घड़ी, मोबाइल फोन सर्किट, बैटरी, 51 पाइप, कार का रिमोट कंट्रोल, वायरलेस डोरवेल स्वीच, स्टील कंटेनर, तार, 91 मोबाइल फोन और 134 सिम कार्ड बरामद किये गए हैं। ये सारा सामान कई आइईडी बम बनाने के लिए पर्याप्त था। बड़ी संख्या में पाइप के बरामद होने से साफ है कि यह माड्यूल पाइप बम के सहारे विस्फोट करने की योजना बना रहा था।

बड़ी मात्रा में विस्फोटक के साथ ही इस माड्यूल ने एक देशी राकेट लांचर भी तैयार कर लिया था। इसके अलावा ये लोग फिदाइन हमलों में इस्तेमाल होने वाला जैकेट भी बरामद किया गया है। इनके ठिकानों से 12 पिस्तौल और 150 कारतूस भी बरामद किये गए है। इनके पास से मिले बड़ी मात्रा में आइएसआइएस से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। जिससे इन माड्यूल के आइएसआइएस से प्रेरित होने की बात साबित होती है। एनआइए के अनुसार यह माड्यूल एक साथ कई स्थानों पर आतंकी हमले की योजना बना रहा था। जिनमें कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ-साथ अहम और भीड़भाड़ स्थान भी शामिल हैं। लेकिन एनआइए ने फिलहाल इसके बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। आलोक मित्तल ने कहा कि इस बारे में अभी पूछताछ की जा रही है और पूरी पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल इस माड्यूल के सीधे आइएसआइएस से जुड़े होने के ठोस सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन इसका सरगना मुफ्ती सुहैल एक विदेशी आका के साथ लगातार संपर्क में था। आलोक मित्तल ने कहा कि इस विदेशी आका की पहचान और उसके सक्रिय होने के स्थान की पड़ताल की जा रही है। इसके साथ ही यह आतंकी माड्यूल आइएसआइएस से जुड़े वेबसाइटों पर नियमित रूप से देखता था। इनके पास से बरामद तीन लैपटॉप से इसकी पुष्टि हुई है।

मस्जिद का इमाम माड्यूल का सरगना  इस आतंकी माड्यूल का सरगना अमरोहा का मूल निवासी और वहीं एक मस्जिद का इमाम के रूप में काम करने वाला मुफ्ती मोहम्मद सुहैल है। सुहैल फिलहाल दिल्ली के जाफराबाद में रह रहा था। सुहैल ने इस माड्यूल में जाफराबाद और अमरोहा के लड़कों को ही शामिल किया था। आलोक मित्तल के अनुसार फिलहाल इस माड्यूल के कहीं बाहर से फंडिंग मिलने के सबूत नहीं मिले हैं। पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि उन्होंने आसप में ही चंदा कर माड्यूल के लिए पैसा जुटाया था। इसके लिए कुछ आरोपियों ने अपने घर में जेवर चुराकर बेचा भी था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इतना सारा विस्फोटक, हथियार व साजो-सामान खरीदने के बाद इस माड्यूल के पास 7.5 लाख रुपये बचे हुए थे, जिन्हें एनआइए ने कब्जे में ले लिया है। नए आतंकी माड्यूल में अधिकांश आतंकी युवा हैं और उनकी उम्र 20 साल से 30 साल के बीच है। खुद इसका सरगना मुफ्ती सुहैल 29 साल है। सुहैल के साथ गिरफ्तार जाफराबाद का रहने वाला 24 साल का अनस युनुस नोएडा के एमेटी यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग का छात्र है और इसने माड्यूल के लिए इलेक्ट्रानिक सामान, बैटरी और रिमोट कंट्रोल खरीदने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं 23 वर्षीय राशिद जफर राक की जाफराबाद में ही कपड़े की दुकान है। जबकि रईस और सईद अहमद नाम के दो भाइयों की अमरोहा में बेल्डिंग की दुकान है। इन दोनों ने 25 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री और पाइप खरीदने के साथ ही राकेट लांचर तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं जाफराबाद के 20 वर्षीय जुबैर मलिक और 22 वर्षीय जैद मलिक ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे सिम कार्ड खरीदने और धन जुटाने में शामिल था। जुबैर मलिक दिल्ली विश्वविद्यालय का तृतीय वर्ष का छात्र है। जबकि हापुड़ के साकिब इफ्तीकार और सीलमपुर में दवा की दुकान चलाने वाले मोहम्मद आजम ने हथियार खरीदने के साथ ही अमरोहा के मोहम्मद इरशाद ने खरीदे गए विस्फोटकों व हथियारों को छुपाने में मदद की थी। आलोक मित्तल के अनुसार इस माड्यूल के बनने के बाद से ही इसके बारे में खुफिया जानकारी मिल गई थी और इस पर नजर रखी जा रही थी। यह माड्यूल मुख्य रूप से व्हाट्सएप और टेलीग्राम मैसेसिंग एप का इस्तेमाल करता था। 20 दिसंबर को एफआइआर दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल और उत्तरप्रदेश एटीएस की मदद से इनके ठिकानों पर छापा मारा गए। इनमें दिल्ली में छह और उत्तरप्रदेश में 11 ठिकाने शामिल हैं।

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