Uttarakhandजन संवाद
देश को बाह्य और आंतरिक दोनों ही मोर्चो पर लड़ाई लड़नी होगी
धरती कहे पुकार के
देश राष्ट्रीय संकट से गुजर रहा है। मौत अपना तांडव कर रही है। हम औरआप सोच सोच कर तनाव ग्रस्त हो रहे है।जिसे हम प्रभु की लीला समझ रहे थे, वास्तव में ऐसा नही है। यह प्राकृतिक आपदा भी नही है बल्कि मानव जनित एक हथियार का अपने वर्चस्व के लिये इस्तेमाल है। आप समाचारों से अवगत हो रहे होंगे कि यह चीन का पहला नही बल्कि दूसरा प्रहार है। पहले तो चीन ने आंखे दिखाकर विश्व को धमकाने की कोशिश की लेकिन विफल होने पर दुष्टता की हदें पार करते हुए जैविक हथियार कोविड 19 का प्रयोग कर दिया। इससे हा हा कारी तो मची लेकिन भारत ने अपने प्रयासों से न केवल इस हमले का बखूबी सामना किया बल्कि विश्व की मदद कर सुरक्षा की गारंटी भी दे दी। खिसियाई बिल्ली खंबा नोचने पर उतर आई और चीन ने भारत को ही लक्ष्य कर दूसरा जैविक हथियार चल दिया है। वही हुआ जो होता आया है। सब पर विश्वास करने वाला भारत गच्चा खा गया और नतीजा देश मे लाशों के अम्बार लग गए। दोस्तो इसे नियति मानकर बैठना भविष्य में हमारी मूर्खता ही कही जाएगी क्यो कि दुश्मन सदा से धोखा देकर पीठ में वॉर करता आया है। अपने मंसूबे पूरे करने के लिये वो आगे भी बाज़ नही आएगा।उसने विश्व विजय का अभियान छेड़ दिया है।यदि हम अभी से निराश होकर बैठ जाएंगे तो उसका मंतव्य और भी आसान हो जाएगा। विश्व पुलिस का दर्जा और शक्तिशाली होने का अभिमान रखनेवाले अमेरिका को उसने अपने वश में कर लिया है। अब पुरे विश्व की निगाहें केवल भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। अब भारत मे ही इतनी शक्ति और शौर्य है कि वह दुश्मन को उसके किये की सजा दे सके।परंतु स्थिति ठीक नही है। चीन ने बहुत से एजेंट जयचंदो के रूप में भारत मे स्थापित कर लिए है जो बार बार भारत के लिये अवरोध पैदा करते रहते है।विभिन राजनीतिग्यो के रूप मे सक्रिय ये भेदये सरकार को कमजोर करने में जी जान से लगें हैं। यह बहुत बड़ी संगठित सेना है जो हमे बर्बाद करने पर तुली है। इसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूर दूर तक जुड़े है। इसलिये देश को बाह्य और आंतरिक दोनों ही मोर्चो पर लड़ाई लड़नी होगी।
तो क्या हम इस लड़ाई के लिये तैयार है? मेरा उत्तर होगा लाख प्रयत्नों के बाद भी शायद नही। चोंकियेगा नही वास्तविकता है। उत्तर में चीन जो पूरे षड्यंत्र का सूत्रधार है ।साथ मे पाकिस्तान जो बार बार पटखनी से लज्जित होकर हमारे सर्व नाश के सपने देखता है। बंगाल से कब यलगार की घोषणा हो जाय कह नही सकते और देश के राज्यो में फैले देशद्रोही कहाँ देश को बेच देंगे इसका शायद देश की जनता को अंदाजा नहीं । अब बची केन्द्र सरकार और सेना। सेना सीमाओं की रक्षा बखूबी कर रही है लेकिन उस पर देश के अंदर से भी आतंकियों द्वारा आक्रमण होने लगे तो स्थिति कमजोर होना निष्चित है। बची केंद्र सरकार तो इतने सारे मोर्चो पर बिना जन समर्थन जीत हासिल नहीं कर सकती। बंगाल के उदाहरण आपके सामने है। कई और क्षत्रप तलवार पर धार दे रहे हैं। रिहिंग्यो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है और देश से बाहर बैठे खालिस्तानी किसान आंदोलन के बहाने लाल किले पर अपने इरादे बता चुके है।ओबेसी भाई भी साम्प्रदायिक आधार पर सर उठा रहे है। कुल मिलाकर देश को चारों ओर से घेरा जा रहा है। देश की जनता क्या दुश्मन को अपने घरों तक पहुचने और अपनी माँ बेटियों की इज्ज़त लूटने का इंतज़ार कर रही है? क्या देश के नॉजवानो से देश प्रेम गायब हो चुका है? नही ये मेरा भारत है जिसके कतरे कतरे में भारत मां के लिए समर्पण भरा हुआ है।
देश की जनता भोली जरूर है लेकिन अच्छे बुरे को पहचानती है। आज भारत मां पर खतरा मंडरा रहा है , माँ भारती अपने परिवार की रक्षा के लिये पुकार रही है। इससे पहले कि देर हो जाय है भारत के वीर सपूतों उठो और अपने ज्ञान औऱ शौर्य का परिचय दुनिया को दे दो ओर बता दो कि हमने न जयचंदो को बख्शा है और न किसी आक्रांता को। उठो औऱ दुनिया को बता दो कि भारत महान था, महान है और महान ही रहेगा।
जय हिन्द
लेखकः- ललित मोहन शर्मा
चेयरमैन
बिल्ड इंडिया फ़ोरम