देश की जिला अदालतों में मूलभूत सुविधाओं का भारी अभाव,कोर्ट की कार्यप्रणाली हो रही प्रभावित
नई दिल्ली। भारतीय कानून व्यवस्था की खस्ताहालत किसी से छिपी नहीं है। देश की अदालतों में करोड़ों की संख्या में मामले लंबित पड़े हुए हैं और अदालतों में जजों की भारी कमी है। केवल जिला अदालतों में ही 2.8 करोड़ मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं। इन जिला अदालतों में 6000 से ज्यादा जजों के पद रिक्त हैं। समस्या यहीं खत्म नहीं होती, देश की ज्यादातर अदालतों में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का भी भारी अभाव है। किस कोर्ट में सबसे बढ़िया सुविधाएं हैं और कहां क्या कमी है, ये जानने के लिए हाल ही में देश की 665 जिला अदालतों का सर्वेक्षण किया गया है। सर्वे मेें दिल्ली की जिला अदालतों को बुनियादी सुविधाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में देश में सबसे बेहतरीन माना गया है।
नेशलन कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम समिति ने किया सर्वे नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम समिति (National Court Management System Committee) ने सर्वेक्षण में पाया गया कि 15 राज्यों की जिला अदालतों में आधी सुविधाएं भी नहीं हैं। इस समिति का गठन वर्ष 2012 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) और केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा किया गया था। समिति को अदालतों में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी का आंकलन करन की जिम्मेदारी दी गई थी। समिति को ये भी अध्ययन करना है कि संशाधनों के अभाव की वजह से कोर्ट की दिन-प्रतिदिन की कार्यप्रणाली पर क्या असर पड़ रहा है।