News UpdateUttarakhand

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष ग्रीन बोनस सहित विशेष पैकेज की मांग रखी

देहरादून। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को सचिवालय में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ उत्तराखण्ड राज्य के हितों को लेकर व्यापक प्रस्ताव रखे। अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों/मंत्रियों के साथ हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने उत्तराखण्ड की विशेष भोगोलिक परिस्थितियों/वनाच्छिदत एवं आपदाग्रस्त राज्य के लिये ग्रीन बोनस सहित विशेष पैकेज की मांग रखी।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित एसडीजी 2020 रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड की रैंक बेहतर होकर अब तीसरी हो गयी है जो कि वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार दसवीं थी। नीति आयोग की रिपोर्ट इण्डिया इनोवेशन इण्डेक्स-2020 के अनुसार दस पर्वतीय राज्यों में उत्तराखण्ड की रैंक दूसरी है।
उन्होंने कहा कि जल संसाधन/जल विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में जल विद्युत उत्पादन की अपार सम्भावनायें हैं। जल विद्युत परियोजनाऐं ऊर्जा सुरक्षा, सौर एवं पवन ऊर्जा के बेलेन्सिंग ग्रिड सुरक्षा हेतु अति आवश्यक भी हैं। विभिन्न पर्यावरणीय कारणों के फलस्वरूप गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में वर्ष 2013 से 4084 मे0वा० की जल विद्युत परियोजनाओं पर कार्य स्थगित है। विकल्प के तौर पर राज्य के अन्य दुर्गम क्षेत्रों यथा शारदा एवं काली नदी बेसिन में जल विद्युत परियोजनाओं का विकास किया जाये तो अधिक लागत एवं टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास हेतु कुल रू0 2000 करोड़ (रूपये 500 करोड़ प्रतिवर्ष 4 वर्षों तक) की वीजीएफ (टपंइपसपजल ळंच थ्नदकपदह) प्रदान किये जाने का अनुरोध भी केन्द्रीय वित्त मंत्री से किया।कैबिनेट मंत्री श्री उनियाल ने कहा कि 06 राज्यों से सम्बन्धित 300 मेगावाट की महत्वपूर्ण लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना हेतु समस्त तकनीकी स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकी हैं। परन्तु निर्माण कार्य प्रारम्भ करने हेतु भारत सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा स्वीकृति प्रदान किया जाना प्रतीक्षित है। उन्होंने कहा कि 660 मे0वा० की किशाऊ परियोजना उत्तराखण्ड राज्य के जनपद देहरादून एवं हिमाचल प्रदेश के जनपद सिरमौर में टोंस नदी पर एक जल भंडारण योजना है। राज्य सरकार द्वारा किये गये अनुरोध को सम्मिलित करते हुए परियोजना से लाभान्वित राज्यों के मध्य अनुबन्ध हस्ताक्षरित कराये जाने का अनुरोध मैं भारत सरकार से इस अवसर पर करना चाहूंगा।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने रोड कनेक्टिवीटी के सम्बन्ध में कहा कि वर्तमान मानकों से प्राप्त धनराशि आपदा से बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत हेतु पर्याप्त नहीं हैं। अतः आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों के निर्माण हेतु रू० 500 करोड़ प्रतिवर्ष की धनराशि का प्रावधान भारत सरकार से निवेदित है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक दबाव बढ़ने के कारण सड़कों की सामान्य मरम्मत प्रभावी नहीं हो रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण अधिकतर पुस्तों का निर्माण कर लिया जाता है जिस कारण सड़कों के तमदमूंस के साथ-साथ रिटेनिंग वॉल का भी रिनेवल आवश्यक होता है जिस कारण इस कार्य हेतु अधिक धनराशि भारत सरकार से निवेदित है। उन्होंने उद्योग के क्षेत्र में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की बेहतरीन कानून व शांति व्यवस्था एवं अनुकूल औद्योगिक वातावरण के फलस्वरूप राज्य सरकार की समावेशी योजनाओं यथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार नैनो योजना व मेगा इंडस्ट्रियल पॉलिसी के कारण छोटे निवेशकों से लेकर सभी बड़े निवेशक राज्य में निवेश हेतु आकर्षित हो रहे हैं तथा ऑटोमोबाइल व फार्मा सेक्टर की काफी प्रबल सम्भावना हैं। लैंडलाक्ड राज्य होने व राज्य का 70 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय क्षेत्र होने के बावजूद उत्तराखण्ड से रू0 16000 करोड़ का निर्यात हो रहा है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने पर्यटन के क्षेत्र में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन गतिविधियों, माउण्टेनियेरिंग, ट्रैकिंग, स्कीईंग आदि क्षेत्रों में विकास की प्रबल सम्भावनायें हैं। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा कुछ प्रस्ताव तैयार करके भारत सरकार को प्रस्तुत किये गये हैं, जैसे रूऋषिकेश को आइकोनिक पर्यटन स्थल बनाने हेतु रू0 500 करोड़ का प्रस्ताव, ऋषिकेश में ही इण्टरनेशनल कन्वेंशन सेण्टर बनाने हेतु रू0 592 करोड़ का प्रस्ताव, टिहरी को लेक सिटी के तौर पर विकसित करने हेतु रू0 1000 करोड़ का प्रस्ताव तथा विभिन्न रोप-वे परियोजनाओं हेतु रू० 6349 करोड़ का प्रस्ताव शामिल है। इन सभी परियोजनाओं पर शीघ्र स्वीकृति निवेदित है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button