डर के साए में जिंदगी,इस सात साल के बच्चे के खून का प्यासा हो गया है तालिबान
नई दिल्ली । अफगानिस्तान के सात वर्षीय मुर्तजा अहमदी की तस्वीर शायद आपने भी देखी हो। करीब तीन वर्ष पहले अहमदी की एक वीडियो पूरी दुनिया में खूब वायरल हुई थी। इस वीडियो में वह एक नीली सफेद रंग की पॉलीथिन की टीशर्ट पहने फुटबाल खेलते हुए दिखाया गया था। इस टीशर्ट पर कलम से मैसी लिखा गया था। यह टीशर्ट उसके पिता ने पैसे के अभाव में उसका मन रखने के लिए उसको पहनाई थी। वीडियो के वायरल होने का ही असर था कि इसको अर्जेंटीना के फुटबॉलर लियोन मैसी ने भी देखा। इसके बाद मैसी ने यूएन की मदद से अपने नाम की एक टीशर्ट और फुटबाल अहमदी तक भिजवाई थी।
जब सपना हुआ सच यह अहमदी के लिए किसी सपने के सच होने जैसा ही था। इस टीशर्ट और फुटबॉल पर मैसी ने साइन भी किया था। इसके करीब एक वर्ष बाद अहमदी के जीवन का सबसे बड़ा दिन उस वक्त आया जब कतर में एक फ्रैंडली मैच की शुरुआत से पहले मैसी और अहमदी की मुलाकात मैदान पर हुई। पूरी दुनिया ने उस वक्त मैसी को अपने सबसे बड़े और प्यारे फैन के साथ देखा और लोगों ने इसके लिए दोनों को ढेरों बधाई भी दी। लेकिन अब यही छोटा सा बच्चा आतंकी संगठन तालिबान के निशाने पर है। तालिबान इसके खून का प्यासा हो रहा है। इस डर की वजह से अहमदी इस टीशर्ट को नहीं पहन पाता है।
तालिबान की आहट से सहमी मां अहमदी की मां शफीका भी तालिबान से काफी सहमी हुई है। उनका कहना है कि अहमदी उनके निशाने पर है। जिस दिन से अहमदी फेमस हुआ है, तब से परिवार की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। सब लोगों की तरह तालिबान भी मानता है कि मैसी ने अहमदी के परिवार को आर्थिक मदद दी है, लेकिन ये झूठ है। डर की वजह से शफीका ने अहमदी को स्कूल जाने से भी रोक दिया है। अहमदी को लेकर मां ही नहीं बल्कि पूरा परिवार काफी डरा हुआ है। खुद अहमदी इस बात को कहने लगा है कि उनके पिता उन्हें मां के साथ किसी दूसरी सुरक्षित जगह पर ले जाएं। इस डर की वजह से यह परिवार गजनी से काबुल आ गया है। लेकिन अहमदी के पिता उन्हें यहां छोड़कर वापस चले गए, तब से अहमदी ने उन्हें नहीं देखा है। अहमदी को हर पल अपने पिता की याद आती है।
डर के साए में जिंदगी शफीका को हर वक्त लगता है कि कहीं तालिबान उसके बेटे को उसके हाथों से छीन न ले। उनका कहना है कि अच्छा होता यदि अहमदी को इतनी लोकप्रियता नहीं मिली। उन्हें हर वक्त हर जगह डर लगा रहता है। इसकी वजह से वह हर वक्त अहमदी के साथ घर के अंदर ही रहती हैं। आपको यहां पर बता दें कि अहमदी शिया है और हजारा कम्यूनिटी से ताल्लुक रखता है। तालिबान से सबसे ज्यादा मुसीबतों का सामना इसी समुदाय को ही करना पड़ा है। इसके अलावा इस समुदाय को आईएस से भी काफी नुकसान पहुंचा है। यहां पर ये भी ध्यान रखने वाली है कि अफगानिस्तान में शांति को लेकर तालिबान, अमेरिका और अफगान प्रतिनिधियों के बीच शांतिवार्ता के दो दौर हो चुके हैं। यह शांतिवार्ता अमेरिका की पहल पर की जा रही है। इस शांतिवार्ता की वजह से शफीका के अलावा दूसरी अफगानी महिलाएं भी डरी हुई हैं। इसके अलावा तालिबान का अहमदी के खून का प्यासा होना इस बात का सीधा इशारा करता है कि उसकी सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है।