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कोरोना वायरस से निपटने के लिये बिहार के युवक ने बना डाला अनोखा छाता

औरंगाबाद।  कोरोना को लेकर जब पूरी दुनिया में हाय-तौबा मचा है। वहां बिहार के औरंगाबाद जिले के एक युवक ने कोरोना से बचाव की खोज कर सबको एक राहत भरी खबर दी है। आज दुनिया की महाशक्ति अमेरिका भी कोरोना के कहर के सामने घुटने टेक चुकी है। पूरी दुनिया बचाव के रास्ते ढूंढ रही है। वहां एक छोटे-से गांव से निकलकर आई इतनी बड़ी खोज की खबर आज चारों ओर चर्चा का विषय बना हुआ है। अब इस युवक के इस आविष्कार को सरकार की मान्यता का इंतजार है। कोरोना से बचाव के लिए बनाया गया यह प्रोटेक्टिव अंब्रेला साधारण छाते की तरह है, लेकिन इस छाते की खासियत यह है कि छाता खुलने के साथ ही यह आपके पूरे शरीर को सेनिटाइज कर डालता है। साथ ही हैंड सेनिटाइजिंग की अलग से सुविधा है। इतना ही नहीं मास्क तथा दूसरी तमाम खूबियों को भी इसमें शामिल किया गया है। जो कोरोना से रक्षा में कारगर साबित हो सकता है।

छाता में क्या है खूबियां सबसे पहले स्मार्ट कोरोना प्रोटेक्टिव अंब्रेला ऑटोमैटिक सेनिटाइज युक्त है। इसके अंदर हैंडवॉश व मास्क की सुविधा उपलब्ध है। जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग में ला सकते है। यह छाता आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे सामान्य छाता को हम अपने साथ ले जाते है। वैसे इसे भी लेकर जा सकते है। इसके अलावा आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकते है। यह छाता पूरी तरह से कोरोना वायरस से बचाव करने में कारगर साबित होगा। इसकी कीमत महज तीन सौ रुपये रखी गई है,जबकि सामान्य छाता भी बाजार में सौ से डेढ़ सौ रुपये में मिल जाता है।

कैसे करता है हैंड सेनिटाइजिंग जैसे ही हम छाता को यूज के लिए खोलेते है तो इसके अंदर लगा हुआ एक सिरिंज दब जाता है। जिसके माध्यम से छाते के अंदर लगा हुआ सेनिटाइजर चारों तरफ फैल कर स्प्रे हो जाता है, और छाता पूरी तरह से सैनिटाइज हो जाता है। छाता यूज करने वाला व्यक्ति भी पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है। इसके अलावा अगर व्यक्ति को ऑन द स्पॉट सेनिटाइजर की आवश्यकता पड़ता है तो हैंडल के पास एक बटन लगा होता है। जिसे दबाने से उसे तुरंत सेनिटाइज मिलता है और वह अपने आप को भी तत्काल सेनिटाइज कर सकता है। इसके अंदर जो हैंडवॉश मौजूद है। उसे हम अपनी जरूरत के हिसाब से यूज कर सकते है।

अप्रूवल के लिए भेजा सीएसआइआर को विनीत बताता है कि प्रोटेक्टिव अंब्रेला छाता निर्माण के बाद पेंटेंट के लिए सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रीसर्च) को भेजा गया है। इसके लिए वे दो दिन पहले यानि 31 मार्च को मेल के द्वारा इंस्टीट्यूट को सूचित किया है। हालांकि, अभी तक कोई सकारात्मक जवाब वहां से नहीं आया है।

कौन है युवक विनीत सदर प्रखंड के भरथौली के समीप स्थित देवहारा गांव निवासी धनेश प्रजापति व सुनीता देवी का पुत्र है। वह बचपन से अब तक कई प्रोजेक्ट तैयार कर चुका है। प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने वाला औरंगाबाद का बाल वैज्ञानिक विनीत कुमार एक बार फिर अपने नए प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा में है।

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