कोरोना वायरस के बारे में सूचनाएं छिपाने में WHO की चीन से मिलीभगत रही हैः-जॉन बोल्टन
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सलाहकार जॉन बोल्टन ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के बारे में सूचनाएं छिपाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीन से मिलीभगत रही है। इसके साथ ही उन्होंने डब्लूएचओ के महा निदेशक डॉ. टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस से इस्तीफे की मांग की है। ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों संबंधी पूर्व सलाहकार जॉन बोल्टन कोरोना महामारी के मामले में चीन पर ‘झूठ’ बोलने का लगातार आरोप लगाते रहे हैं। सोमवार को ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि डब्लूएचओ के महानिदेशक घेब्रेयसस ने कम्युनिस्ट शासन पर आंख बंद कर भरोसा कर पूरी दुनिया को गुमराह किया।
WHO के महानिदेशक ने कम्यूनिस्ट शासन पर किया आंख बंद कर भरोसा बोल्टन ने अपने ट्वीट में लिखा कि कोविड-19 मामले में चीन के बड़े पैमाने पर चलाए गए लीपापोती अभियान में डब्लूएचओ की भी मिलीभगत रही। इसीलिए मैं मार्को रूबियो और टेड क्रूज के घेब्रेयेसस का इस्तीफा मांगने के अभियान का समर्थन करता हूं। उन्होंने कहा कि घेब्रेयेसस ने धोखा देने पर आमादा कम्युनिस्ट शासन पर आंख बंद कर भरोसा किया और दुनिया को गुमराह किया। उल्लेखनीय है रिपब्लिकन पार्टी से ताल्लुक रखने वाले टेड क्रूज और मार्को रूबियो दोनों अमेरिका के सीनेटर हैं। ये दोनों डब्लूएचओ के मौजूदा नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठा चुके हैं।
वैश्विक एजेंसी खो चुकी अपनी विश्वसनीयता टेड क्रूज ने डब्लूएचओ के नेतृत्व की तत्काल समीक्षा किए जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ साठगांठ कर यह वैश्विक एजेंसी अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है। टेड की तरह रूबियो ने भी डब्लूएचओ के नेतृतव को कठघरे में खड़ा किया था। उल्लेखनीय है डब्लूएचओ पर कोरोना के बारे में तथ्य छिपाने का दुनिया भर में तोहमत लग रही है। आरोप लगाने वालों का कहना है कि डब्लूएचओ ने चीन के साथ मिलकर सारी दुनिया में यह वायरस फैलाया।
कोरोना को लेकर WHO ने आपातकाल घोषित करने में की देरी यह बिल्कुल साफ है कि कोरोना का संक्रमण मनुष्य से मनुष्य में फैलता है लेकिन डब्लूएचओ मध्य जनवरी तक इस तथ्य को छिपाता रहा। यही नहीं डब्लूएचओ ने कोरोना को लेकर आपातकाल घोषित करने में भी बहुत देर लगाई। दुनिया को ठप कर देने वाले कोरोना वायरस की दिसंबर से चीन से शुरुआत हुई थी। चीन में इससे करीब 3300 मौते हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने इस बारे में सूचनाओं को छिपाकर और भ्रामक जानकारियां देकर वायरस को दुनिया भर में फैलने दिया। अब तक दुनिया में 13 लाख से अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं और 75,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उल्लेखनीय है जापान ने भी डब्लूएचओ और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच मिलीभगत होने का आरोप लगाया था। जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो ने तो यहां तक कहा कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन संगठन(डब्लएचओ) को अपना नाम बदल कर चाइनीज हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (सीएचओ) कर लेना चाहिए।